19 अक्तूबर 2011

वातायन - हल्की सी धूप - संगीता बाजपेयी

पुस्तक लोकार्पण। बाएँ से अचला नागर जी, पुष्पा भारती जी, संगीता, सूर्यबाला जी और जलीस शेरवानी जी



पिछले रविवार यानि १६ अक्टूबर की शाम एक यादगार शाम रही| अँधेरी - पश्चिम, यारी रोड स्थित फिशरीज इंस्टिट्यूट में संगीता बाजपेयी के कहानी संग्रह 'हलकी सी धूप' का विमोचन समारोह होना था। हालाँकि निमंत्रण तो पहले से मिला हुआ था, पर  एक दम ध्यान से ही उतर गया, आ. खन्ना मुजफ्फरपुरी जी का शुक्रिया कि उन्होंने याद दिलाया फिर से।


आनंद के क्षण - बाएँ से दायें - अचला नागर जी, पुष्पा भारती जी, संगीता, सूर्यबाला जी, जलीस शेरवानी जी, राजकुमार बड़जात्या जी,  जगदम्बा प्रसाद दीक्षित जी, बृजमोहन अग्रवाल जी, ललित पण्डित और उमाकांत बाजपेयी



आ. सूर्यबाला जी, जगदम्बा प्रसाद दीक्षित जी, अचला नागर, राजम नटराजन पिल्लई, कुमार बिहारी पाण्डेय, राजकुमार बड़जात्या [राजश्री प्रोड.] जलीस शेरवानी, अंजन श्रीवास्तव, ललित पंडित [जतिन-ललित], नरेश सोनी, पत्रकार अभिजीत राणे, राहुल सेठ और विष्णु शर्मा जैसी हस्तियों की मौजूदगी में इस पुस्तक का लोकार्पण करते हुए प्रतिष्ठित रचनाधर्मी आ. पुष्पा भारती जी ने कहा कि लेखिका यदि एकाग्रचित्त होकर लिखती रहे तो निश्चित ही आगे चलकर वह एक अच्छी साहित्यकार बन सकती हैं।

हम भी - विष्णु शर्मा, कुमार बिहारी पाण्डेय, अंजन श्रीवास्तव, वज़ीर लाकड़ा, हरीश भीमानी, अचला नागर, पुष्पा भारती, संगीता और सूर्यबाला जी


कार्यक्रम के अधिकाँश हिस्से में संगीता बाजपेयी स्वयँ कुर्सियों से खचाखच भरे हॉल में आगे की तरफ खड़ी हो कर सभी का आशीर्वाद ग्रहण करती रहीं।


कहानी पाठ करते हुए विष्णु शर्मा


सभी विद्वानों ने अपने आशीर्वाद के साथ संगीता बाजपेयी को कुछ टिप्स भी दिए सुप्रसिद्ध कहानीकार सूर्यबाला ने लेखिका की शैली और कथ्य की प्रशंसा की। महाभारत के 'मैं समय हूँ' फेम उद्घोषक हरीश भीमानी ने कहा कि लेखकों को आलोचना से डरना नहीं चाहिए । सही आलोचना से अच्छा साहित्य लिखने की प्रेरणा मिलती है । फिल्म रायटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जलीस शेरवानी ने कहा कि आजकल अच्छे साहित्य की कमी है । हमारी इंडस्ट्री को संगीता बाजपेयी जैसे लेखकों की सख्त जरूरत है। फिशरी इंस्टिट्यूट के वजीर लाकडा जी ने भी संक्षिप्त में लेखिका का उत्साह वर्धन किया।


गीतकार तुराज़ और इंडियन आयडल तुकैर क़ाज़ी के साथ संगीता


कार्यक्रम के दौरान ललित पंडित [जतिन-ललित] द्वारा "कहीं दूर जब दिन ढल जाए" गीत गाने पर सारा सभागार तालियों की गडगडाहट से गूँज उठा। अंजन श्रीवास्तव जी स्क्रीन पर जैसे सरल और सहज दिखते  हैं, वास्तविक जीवन में भी बिलकुल वैसे ही हैं। इस कार्यक्रम में देवी नागरानी जी से भी व्यक्तिगत मुलाक़ात हुई। अंतरजाल के ज़रिये यूँ तो संपर्क था, पर मिलना अब जा कर हुआ।

राजश्री प्रोड. वाले राजकुमार बड़जात्या जी के साथ संगीता

कायक्रम का आयोजन आशीर्वाद संस्था की तरफ से हुआ था।


गीतकार सरफराज ख़ान के साथ संगीता 
 
इस कार्यक्रम में जिन दो बातों ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया, उन में से पहली थी फिल्म रायटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जलीस शेरवानी और जानेमाने रंगमंच के कलाकार अंजन श्रीवास्तव द्वारा कहना कि अच्छे लेखकों की कमी शिद्दत से महसूस की जा रही है। दूसरी बात, जिसने कान तो खड़े नहीं किए, पर हाँ ध्यानाकर्षण अवश्य किया , वो ये कि सरकारी अनुदान जो कि पुस्तकों के प्रकाशन के लिए आबंटित किए जाते हैं, उन का भी पूरा पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता। इस विषय पर मैंने अंजन श्रीवास्तव जी से बात करने की कोशिश की, पर उनको पूना जाना था, और मुझे भी एक अन्य पारिवारिक कार्यक्रम अटेण्ड करना था - सो बात नहीं बन पायी। खैर, फिर से कोशिश करूँगा जानने की कि इस तिलिस्मी गुफा के दरवाज़े की चाबी है कहाँ पर?

संगीता जी को इस पहले-पहले कहानी संग्रह के लोकार्पण पर बहुत बहुत बधाईयाँ और उन के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएँ।

8 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया रिपोर्तार्ज़ .. अच्छा लगा पढ़कर...

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  2. अच्छे चित्र.... बढ़िया समाचार....
    संगीता जी को हार्दिक बधाईयां.....

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  3. अब तो मेट्रो भी आ गई बेंगलुरु में मुबारक .ब्लोगिया दस्तक के लिए आभार आपका .बहुत अच्छी रिपोर्ट कसाव लिए अपने लघु कलेवर में बहुतों को समेटे हुए सभी नाम चीन .आप भी तो .बधाई संगीता बाजपाई जी ,नवीन भाई .दिवाली मुबारक .

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  4. महत्वपूर्ण रिपोर्ट. उम्मीद है आपको तिलिस्म की चाभी भी जरुर मिलेगी. संगीता बाजपेई जी को भी बधाई.

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  5. ाच्छी रिपोर्ट। नवीन भाई कैसे हैं आप? दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें\

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  6. संगीता जी व आयोजकों को बधाई देना तो भूल ही गयी। सब को बधाई और हार्दिक शुभकामनायें\

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