विशेष सूचना - ये पोस्ट सब से पहले मेरे ऊपर लागू होती है .......................
टिप्पणी किस को नहीं चाहिए, सब को ही चाहिए| मुझे भी चाहिए| जो ना-ना करते हैं उन्हें भी चाहिए भाई| टिप्पणी धर्म निभाने के लिए कई बार हम में से कई सारे लोग केजुअल टिप्पणियाँ भी करते रहते हैं, ये एक ऐसा सच है - जिसे कम से कम मैं तो झुठला नहीं सकता| पर दुख होता है जब हमारे द्वारा मेहनत और लगन से बनाई गई पोस्ट्स पर कोई केजुअल से भी आगे बढ़ कर अ-सन्दर्भित कमेंट चिपका जाता है| संभव है कभी मुझ से भी ये हो गया होवे| भाई मैं भी तो इंसान ही हूँ ना|
'सकारात्मक विकेंद्रित विचार विनिमय' की कामयाबी की राह में ऐसी टिप्पणियाँ प्रोत्साहन कम और हतोत्साहन अधिक करती हैं| ब्लॉगिंग का आज पर्याय नहीं है| ब्लॉगिंग आज देश व्यापी मूवमेंट्स का आधार भी बनने लगी है| ब्लॉगिंग ने गली-कूचों में, अनिर्दिष्ट भविष्य के लिए अभिशप्त हो चुके - कई सारे रचनाधर्मियों को एक मंच उपलब्ध कराया है| यहाँ कई सारे अच्छे ब्लॉगर हैं, ये न होते तो आज आप मेरी इस पोस्ट को न पढ़ रहे होते| नये ब्लॉगर्स के उत्साह वर्धन से रत्ती भर भी इनकार नहीं है| अपने ब्लॉग पर दूसरों को बुलाने योग्य बनाने के लिए घुमक्कडी से भी लेश मात्र तक परहेज नहीं है - पर हाँ, इतनी कसक अवश्य है, भाई टिप्पणी कम से कम सन्दर्भ के साथ तो दो, अदरवाइज आप जैसा अच्छा पाठक पाना भी हमारे लिए कोई कम उपलब्धि थोड़े ही ना है............
हर दिन दर्ज़नों पोस्ट पर टिप्पणी करने वाले हम सभी के लिए सारी पोस्ट्स डीटेल में पढ़ना, उन पर चिंतन करना और अपने विचार व्यक्त करना वैसे भी मुश्किल तो होता ही है| जहाँ तक मेरा सवाल है, एक बार टिप्पणी करने के बाद मैं शायद ही पलट कर देखता हूँ कि उस पोस्ट पर आगे क्या विचार विमर्श हुआ है| फिर तो ये तो ऐसा हुआ, होठों को कुछ चौड़ाई प्रदान करते हुए गर्दन हिला कर राह चलते किसी से हाय हेलो कर दी| क्या इस लिए कर रहे हैं हम ये सब? मैं क्यूँ अपेक्षा रखता हूँ कि मुझे भी टिपण्णी शतक वीर के नाम से जाना जाए? इस का उत्तर मुझे ही ढूँढना होगा|
ऐसे विचार कई बार आते हैं मन में, आप में से कई के साथ इस तरह की बातें भी हुई हैं, फ़ोन पर, चेट के माध्यम से भी| मनोज भाई से बात करते हुए आज अचानक मूड हुआ कि चलो इस पर एक हास्य कविता [पेरोडी टाइप] पेश की जाए| और लीजिए हाजिर है ये पेरोडी आप को गुदगुदाने के लिए| अब इस के कमेन्ट में ये न लिखना "समाज का दर्पण दिखाता................... ये गंभीर..................... आलेख...................... मेरे दिल............................. को छू ........................................... गया..........................|
ब्लॉग वर्ल्ड का नया खिलाड़ी हूँ मैं मेरे यार
मेरे दिल में जो आए वो लिखता हूँ हर बार
पढ़ना लिखना मैं ना जानूँ, ये न मुझे स्वीकार
घूम घूम कर करता हूँ टिप्पणियों की बौछार
............मेरी मर्ज़ी............
कविता को मैं गीत बता दूँ मेरी मर्ज़ी
गीत को पोएट्री बतला दूँ मेरी मर्ज़ी
ग़ज़ल को अच्छी नज़्म बता दूँ मेरी मर्ज़ी
ग़ज़ल के बदले गीत पढ़ा दूँ मेरी मर्ज़ी
टिप्पणियाँ की गरज अगर तो कर लो ये स्वीकार
घूम घूम कर करता हूँ टिप्पणियों की बौछार
कुंडलिया को रबर बता दूँ मेरी मर्ज़ी
छन्दों को मुक्तक बतला दूँ मेरी मर्ज़ी
हास्य कृति, गंभीर बता दूँ मेरी मर्ज़ी
व्यंग्य को फुलझड़ियाँ बतला दूँ मेरी मर्ज़ी
ग़ूढ विषय में दिख सकते हैं कोमल भाव अपार
घूम घूम कर करता हूँ टिप्पणियों की बौछार
लंबे-लंबे लेख पढ़ूँ, ये बस में ना मेरे
कौन पढ़े इतिहास और भूगोलों के ढेरे
पढ़ लेता दो पाठ तो फिर डॉक्टर ना बन जाता
डॉक्टर बन जाता तो काहे कविता चिपकाता
इत्ती सी ये बात समझ पाते ना मेरे यार
घूम घूम कर करता हूँ टिप्पणियों की बौछार
अब इत्ती बड़ी पोस्ट पढ़ के भी किसी ने अ-संदर्भित टिपण्णी दी, तो
तो
तो
तो
तो
क्या कर सकता हूँ मैं............... झेलना ही पड़ेगा भाई| आप के बिना इस ब्लॉग का कोई अर्थ जो नहीं है भाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
विशेष अनुरोध:- इसे व्यक्तिगत स्तर पर लेने की सख्त मनाही है, जो मित्र ऐसा करते हुए पाए जायेंगे, हमारी अगली पोस्ट में आदर सहित स्थान पायेंगे| और जो दोस्त इसे पढ़ कर कम से कम मन ही मन मुस्कुराएंगे, हमारा दिल जीत ले जायेंगे|
इस पोस्ट के प्रेरणा श्रोत मनोज भाई हैं, ये पोस्ट सभी संभावित सकारात्मक / नकारत्मक टिप्पणियों के साथ उन को समर्पित| मनोज भाई इस का भार मैं अकेले कैसे सहन कर पाऊँगा :))))))))))))))))))))