11 जुलाई 2011

कुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे

अक्सर ऐसे भी दिखें, कुछ modern परिवार|
मिल जुल कर ज्यों चल रही, गठबंधन सरकार||
गठबंधन सरकार, सरोकारों के सौदे|
अपने-अपने भिन्न, सभी के पास मसौदे|
नित्य नया सा खेल, खेलते हैं ले-दे कर|
दिखते संग, परंतु, दूर होते हैं अक्सर||

18 टिप्‍पणियां:

  1. अद्भुत! ये सब नवीन भाई आप ही कर सकते हैं।
    हम तो बस ठाले बैठे निठल्ले हैं।।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत खूब| कई दिनों बाद आना हुआ|यहाँ कविताओं के इतने सारे रूप देखकर बार बार हिंदी साहित्य में और रूचि जागृत होती है| यह मेरा प्रिय विषय है |आशा है इस ब्लॉग पर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा| समस्यापूर्ति मंच का पता भी मिल गया| धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. सच है, सबका ही ख्याल रखना पड़ता है।

    जवाब देंहटाएं
  4. एकल परिवार के बढ़ते चलन पर कुण्डली के ज़रिये सटीक व्यंग.

    जवाब देंहटाएं
  5. आज के सन्दर्भ में कुंडली का प्रयोग बहुत अच्छा लगा बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. आज की कुंडली में आज के पारिवारिक सन्दर्भ को सटीक रूप में दिखाया है ..

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूब ... गठबंधन सरकार तो ऐसे ही चलती है ... फायदा देखते हैं अपना अपना ..

    जवाब देंहटाएं
  8. वर्तमान राजनीतिक दशा पर कटाक्ष करता शानदार छंद...

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत खूब नवीन भाई। कुंडली से आज की स्थिति का सटीक वर्णन किया है आपने।

    जवाब देंहटाएं
  10. गठ्बंधनिया सरकार के मार्फ़त विच्छिन्न होते परिवारों पर व्यंग्य कसाव -दार धार -दार.

    जवाब देंहटाएं
  11. कथ्य और शैली दोनों प्रभावशाली हैं
    इस फ़न में तो ख़ास महारत है आपको
    बधाई स्वीकारें .

    जवाब देंहटाएं
  12. सत्य कहा ...सटीक तुलना की है कुंडलियों के माध्यम से...

    जवाब देंहटाएं
  13. नित्य नया सा खेल, खेलते हैं ले-दे कर।
    दिखते संग परंतु, दूर होते हैं अक्सर।

    आधुनिक परिवारों की जीवन शैली पर तीखा कटाक्ष।
    बढ़िया रचना।

    जवाब देंहटाएं
  14. कुंडली से आज की स्थिति का सटीक वर्णन किया है|बढ़िया रचना।

    जवाब देंहटाएं