बात-बात पे बहस, करे तहस नहस,
बात करिए सरस, कस के न बोलिए|
मन में रहे न बैर, तो सदा रहेगी खैर,
अपना हो या कि गैर, गुण ही टटोलिए|
छोड़ के बुराइयों को, जोड़ के भलाइयों को
ओढ़ के बधाइयों को, फूले-फूले डोलिए|
बनिए जो आगेवान, काम करिए महान
तारीफ करें सुजान, ऐसी राह खोलिए||
शब्दार्थ:-
आगेवान = नेतृत्व करने वाला / वाले
सुजान - बुद्धिमान व्यक्ति / सज्जन
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रस-छंद-अलंकार के प्रेमियों के हितार्थ:-
यह अनुप्रास अलंकार युक्त घनाक्षरी छन्द है|
छेकानुप्रास, वृत्यानुप्रास, लाटानुप्रास, अन्त्यानुप्रास तथा श्रुत्यानुप्रास
ये पांच भेद हैं अनुप्रास अलंकार के और ये पाँचो के पाँचो प्रकार
इस एक ही छंद में मौजूद हैं|
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रस-छंद-अलंकार के प्रेमियों के हितार्थ:-
यह अनुप्रास अलंकार युक्त घनाक्षरी छन्द है|
छेकानुप्रास, वृत्यानुप्रास, लाटानुप्रास, अन्त्यानुप्रास तथा श्रुत्यानुप्रास
ये पांच भेद हैं अनुप्रास अलंकार के और ये पाँचो के पाँचो प्रकार
इस एक ही छंद में मौजूद हैं|
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मन में रहे न बैर, तो सदा रहेगी खैर,
जवाब देंहटाएंअपना हो या कि गैर, गुण ही टटोलिए|
यह हुई ना सही बात चौवे जी ......
सौदेश्य पोस्ट ,भाव पूर्ण सह -भावित रचना .कर भला हो भला अंत भले का भला .
जवाब देंहटाएंवाह, नवीन जी, कमाल है..।
जवाब देंहटाएंविविध अलंकारों ने छंद की सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं।