हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास
तुम यही बोलोगे – मुश्किल है सफ़र – मालूम है
और दिखाओगे हमें रस्ते का डर – मालूम है
जान लो तुम भी मगर, हमको डगर मालूम है
“हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा”
मूल शेर – बशीर बद्र साहब का है
धन्यवाद
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