तज़मीन - अश्विनी उम्मीद

 


तुम यही बोलोगे – मुश्किल है सफ़र – मालूम है 

और दिखाओगे हमें रस्ते का डर – मालूम है

जान लो तुम भी मगर, हमको डगर मालूम है

“हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है

जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा” 

 

मूल शेर – बशीर बद्र साहब का है


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