तज़मीन - यशपाल सिंह 'यश'

  


न जाना कि आँसू बहाता है कोई 

न जाना कि ग़म को छुपाता है कोई

न जाना कि हस्ती मिटाता है कोई

"न जाना कि दुनिया से जाता है कोई

बहुत देर की मेहरबाँ आते-आते"

 

यशपाल सिंह 'यश


मूल शेर दाग़ देहलवी साहब का है 


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