हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास
न जाना कि आँसू बहाता है कोई
न जाना कि ग़म को छुपाता है कोई
न जाना कि हस्ती मिटाता है कोई
"न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बहुत देर की मेहरबाँ आते-आते"
यशपाल सिंह 'यश
मूल शेर दाग़ देहलवी साहब का है
प्रकाशन के लिए आभार भाई नवीन जी।
प्रकाशन के लिए आभार भाई नवीन जी।
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