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पाँच हाइकु - कैलाश शर्मा
दुर्गा की पूजा
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
कन्या की भ्रूण हत्या
दोगलापन.
रात का दर्द
समझा है किसने
देखी है ओस?
न जाने कब
फिसली थी उँगली
यादें ही बचीं
विकृत मन
देखे केवल देह
बालिका में भी.
नयन उठे,
बेरुखी थी आँखों में,
बरस गये
:- कैलाश शर्मा
हाइकु
[१]
सत्य की खोज
आईने का सामना
सब ग़लत.................
[२]
दुग्ध नदियाँ
जल स्रोतों की खोज
जल पे जंग
औरत बुरी बला
आई मिस यू.....................
सत्य की खोज
आईने का सामना
सब ग़लत.................
[२]
दुग्ध नदियाँ
जल स्रोतों की खोज
जल पे जंग
[३]
आई लव यूऔरत बुरी बला
आई मिस यू.....................
हाइकु - दीपावली - नवीन
ऊँचे भवनों
पर सजे दीपक
लगें तारों से|१|
लाते थे हम
बमों के साथ साथ
हटरी, कभी|२|
बिकने लगे
शहरों में अब तो
मानव बम |३|
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
पर सजे दीपक
लगें तारों से|१|
लाते थे हम
बमों के साथ साथ
हटरी, कभी|२|
बिकने लगे
शहरों में अब तो
मानव बम |३|
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
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