मम्मी…. मम्मी... पापा कहां है। बैठे होंगे अपने पियक्कड़ दोस्तों के बीच। क्या हुआ? कमला ने पूछा।मम्मी तुम्हारा लाडला राकेश हरिद्वार के अस्पताल में भर्ती है उसके दोस्त का फोन आया है। यह कब गया? कौन से पाप धोने गया है? कमला धीरे से बोली बेटा,
पड़ोस का श्याम दोस्तों के साथ घूमने जा रहा था यह साथ चला गया। घूमने या कोई नया नशा करने? वहां सब नशे सस्ते में मिल जाते हैं।पापा को बुलाने जा रहा हूं। पापा ही आ कर पूछेंगे आपसे। उसकी गलतियां छिपा कर बेड़ा गरक कर दिया उसका भी, हमारा भी। बडबडाता हुआ शमीम बाहर निकल गया। कमला अपने हाथों की लकीरें देख सोचने लगी कि यह क्या कह गया यह? टटोलने लगी कि कैसे मां के साथ एक अनाथालय में मुश्किल में बचपन गुजारा। जवानी में ही भाई चला गया। मां ने ठेके पर काम करने वाले शराबी के साथ मुझे ब्याह दिया। फिर भी तीन लड़के पैदा किए। सोचा बड़े हो कर सुख के दिन दिखाएंगे। पर न जाने ऊपर वाला मेरे लिए सुख लिखना भूल ही गया। पति को सारा दिन शराब और जुए से फुर्सत नहीं, औलाद ने पांचवीं के बाद स्कूल नहीं देखा। यहां वहां छोटा मोटा काम करके रोटी कमाई।इसने अपनी मर्जी की लड़की को मेरे सिर पर बैठा दिया। राकेश की भगवान रक्षा करे। अब जब सब पीते हैं तो इसे भी लत लग गई। कल पैसे मांग तो रहा था कि 10000 दो। उधार वापस करना है। लड़ कर पैसे ले गया। भगवान सबको सद्बुद्धि दे। इतने में सतीश ने आवाज़ लगाई। मम्मी मेरे और पापा के दो जोड़ी कपड़े बैग में रख दें, अभी हरिद्वार के लिए निकलना है। मैं भी चलती हूं, कमला ने जल्दी से कहा।तुम
क्या करोगी जा कर। खर्चा नहीं होता क्या। ससुर को पानी देते हुए बहू बीच में बोली।
उदास कमला ने समान और रोटी बांधी और पहुंचते ही खबर करने को कहा। सतीश बाप का हाथ
पकड़ कर स्टेशन के तरफ चल पड़ा। सारा दिन फोन की घंटी पर कान रहे। दो बार बहू के
कमरे में गई पर, बहू को सोते देख उठाने
की हिम्मत नहीं हुई। अगले दिन सतीश का फोन आया, मम्मी हालत
खराब है। डॉक्टर ने वेंटिलेटर पर रखा है, कह रहे हैं कि शराब
पीने से लीवर बिल्कुल खराब हो गया है। उम्मीद कम है। शायद शराब के साथ कुछ मिला कर
भी लिया है। उसके दोस्तों से पूछ, कमला ने कहा। कोई नहीं है,
सबने सड़क पर मरता छोड़ दिया। कोई अशोक भर्ती करवा गया है। हां उसका
नया दोस्त है, और धीरे से बोली बेटा,मुझसे
कल 10000 ले गया था देख लेना। कुछ नहीं है जेब में, गुस्से से चिल्लाया सतीश और फ़ोन काट दिया। यूं ही दुआ मांगते हुए दो दिन
बीत गए। सतीश का फोन आया जबान में नरमी थी।मम्मी, हालत खराब
होती जा रही है। तुम देखना चाहो तो आ जाओ। कमला ने दो कपड़े रखे और हरिद्वार पहुंच
गई। राकेश को इस तरह बेसुध देख कर कलेजा मुंह को आ गया। डॉक्टर के आगे हाथ जोड़
खड़ी हो गई। पैसों के चक्कर में कुछ खिला दिया दोस्तों ने, बस
एक बार ठीक कर दो फिर पीने न दूंगी। डॉक्टर ने एक उड़ती नज़र से देखा और कहा,
हम जो कर सकते थे कर रहे हैं। ज्यादा उम्मीद मत लगाओ। अगले दिन सतीश
ने कमला को वापिस रवाना कर दिया।
तीसरे दिन बाप बेटा राकेश की मिट्टी के साथ खुद भी घर आ गए। घर में कोहराम मच गया। गली मोहल्ला इकठ्ठा हो गया। जितने मुंह उतनी बातें। पड़ोस की आशा फुसफुसाई। जीजी यह तो होना ही था। सारा दिन शराब के ठेके पर रहता था। यार दोस्त भी ऐसे ही नशेड़ी हैं। पूरा परिवार ही बुरी आदतों का शिकार है। कमला का भाई भी इसी उम्र में नशे के कारण भगवान को प्यारा हो गया था। बेचारी कमला नसीब खोटा लिखवा लाई है।नाक तक करजे में डूबे हैं। सुहाना बीच में बोली, मिट्टी को ठिकाने करने के लिए भी पैसे नहीं है। थोड़ी देर पहले कमला अाई थी मेरे पास,मैंने तो नहीं दिए। पिछले ही दो साल से नहीं उतरे। इतने में जोर जोर से रोने की आवाज़ आने लगी। देखा कमला की मां अाई है दोनों ही गले लग रो रही हैं। लगता है कि इतिहास ने स्वयं को दोहरा लिया।
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