भारतीय रेल की
जनरल बोगी
पता नहीं
आपने भोगी
या नहीं भोगी
एक बार हमें
करनी पडी यात्रा
स्टेशन पर देख
कर
सवारियों की
मात्रा
हमारे ,पसीने छूटने
लगे ,
हम झोला उठा
कर
घर की तरफ़ फूटने
लगे
तभी एक कुली
आया
मुस्करा कर बोला
अन्दर जाओगे
मैंने कहा पहुचाओगे
?
वो बोला
बड़े -बड़े पार्सल
पहुचाये हैं
आपको भी पहुँचा
दूँगा
मगर रूपये पूरे
पचास लूँगा
हमने कहा पचास
रूपैया ?
वो बोला हाँ
भइया .
तभी गाडी ने
सीटी दे दी
हम झोला उठा
कर धाये
बड़ी मुश्किल
से
डिब्बे के अन्दर
घुस पाए
डिब्बे का दृश्य
और घमासान था
पूरा डिब्बा
अपने आप में
हिन्दोस्तान था
लोग लेटे थे
,बैठे थे ,खड़े थे
जिनको कहीं जगह
नही मिली
वे बर्थ के नीचे
पड़े थे.
एक सज्जन
फर्श पर बैठे
थे ,ऑंखें मूंदे
उनके सर पर
अचानक गिरीं
पानी की बूंदे
वे सर उठा कर
चिल्लाये ,कौन है -कौन
है ?
बोलता क्यों
नही
पानी गिरा कर
मौन है
दीखता नहीं
नीचे तुम्हारा
बाप बैठा है ?
ऊपर से आवाज
आयी
छमा करना भाई
,
पानी नहीं है
हमारा छः महीने
का
बच्चा लेटा है
,
कृपया माफ़ कर
दीजिये
और आप अपना सर
नीचे कर लीजिये
वरना ,बच्चे का क्या
भरोसा ?
तभी डिब्बे में
जोर का हल्ला हुआ
एक सज्जन चिल्लाये
-
पकडो -पकडो जाने
न पाए
हमने पुछा क्या
हुआ -क्या हुआ
सज्जन रो कर
बोले
हाय -हाय ,मेरा बटुआ
किसी ने भीड़
में मार दिया
पूरे तीन सौ
से उतार दिया
टिकट भी उसी
में था .....?
एक पड़ोसी बोला
-
रहने दो -रहने
दो
भूमिका मत बनाओ
टिकट न लिया
हो तो हाँथ मिलाओ
हमने भी नहीं लिया है
आप इस कदर चिल्लायेंगे
तो आप के साथ
हम नहीं पकड
लिए जायेंगे?
एक तो डब्लू
.टी जा रहे हो
और सारी दुनिया
को चोट्टा बता रहे हो?
अचानक गाडी
बड़े जोर से
हिली
कोई खुशी के
मारे चिल्लाया -
अरे चली ,चली
दूसरा बोला
-जय बजरंगबली
तीसरा बोला
-या अली
हमने कहा -
काहे के अली
और काहे के बली ?
गाड़ी तो बगल
वाली जा रही है
और तुमको
अपनी चलती नजर
आ रही है ?
प्यारे
सब नजर का धोखा
है
दरअसल यह रेलगाडी
नहीं
हमारी जिंदगी
है
और जिंदगी में
धोखे के अलावां
और क्या होता
है
पहले भी सुना है, मजेदार..
जवाब देंहटाएंvastvikta h.
जवाब देंहटाएंआ०प्रदीप चौबे की जीवंत कृति लाजवाब।
जवाब देंहटाएंअच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग पर भी पधारें:-
https://www.bbpathak.online/?m=1
Maja aa gaya
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