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जितेंद्र जौहर |
पिछले दिनों, शायद दो हफ़्ते पहले, कामकाज़ के सिलसिले में चेम्बूर गया था तो फिर वहीं से ही आ. आर. पी. शर्मा महर्षि जी के दर्शन करने उन के घर भी चला गया। उन के घर पर "क़ता-मुक्तक-रूबाई" का शायद अब तक का सब से बड़ा संकलन देखने / पढ़ने को मिला। वहीं बैठे-बैठे इस संकलन के शिल्पी जितेंद्र जौहर से भी बात हुयी। कुछ दिनों बाद फिर जितेंद्र भाई का मेसेज आया कि नवीन जी आप के और आप के मित्रों के मुक्तक-क़ता-रूबाई भिजवाइएगा। जो पसंद आएंगे [यह शर्त मेरे लिए भी लागू] उन्हें संकलन में स्थान मिलेगा। तो मैंने सोचा एक ब्लॉग पोस्ट के ज़रिये न सिर्फ जितेंद्र जी का परिचय और उनकी रूबाइयाँ बल्कि उन की मंशा भी दोस्तों तक पहुँचायी जाये। रूबाइयों से मेरे लिए परिचय नई बात है। तो आइये पढ़ते हैं उन की रूबाइयाँ ब-क़लम जितेंद्र भाई:-