भोजपुरी गजल - मन में नेह के तार बहुत बा - देवेंद्र गौतम


मन में नेह के तार बहुत बा
ई नदिया में धार बहुत बा

तनिको चूक के मौका नइखे
गर्दन पर तलवार बहुत बा

सौ एके छप्पन के आगे
पर्चो भर अख़बार बहुत बा

के अब केकर दुःख बाँटेला
आपस के व्यवहार बहुत बा

मिल जाए त कम मत बुझिह
चुटकी भर संसार बहुत बा

काहें गाँव से भागत बा’ड़

गाँव में कारोबार बहुत बा

:- देवेन्द्र गौतम
08527149133

1 टिप्पणी:

  1. प्रयास त शैशव नइखे बुझाता. भोजपुरियो में ओहि लेखा जाइब रउआ..हमरा बुझाता व्यवहार के जगह बेवहार होइ. काहे कि जेह हिंदी के संभ्रांतता से अलग हटे खातिर भोजपुरी के रस्ता बन-ता ऊ लोक के रस्ते जाई, अभिजन के रस्ते ना...ओइसे रउआ जे बूझीं...

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.