मन में नेह के तार
बहुत बा
ई नदिया में धार
बहुत बा
तनिको चूक के मौका
नइखे
गर्दन पर तलवार
बहुत बा
सौ एके छप्पन के
आगे
पर्चो भर अख़बार
बहुत बा
के अब केकर दुःख
बाँटेला
आपस के व्यवहार
बहुत बा
मिल जाए त कम मत
बुझिह
चुटकी भर संसार
बहुत बा
काहें गाँव से
भागत बा’ड़
गाँव में कारोबार
बहुत बा
:- देवेन्द्र गौतम
08527149133
प्रयास त शैशव नइखे बुझाता. भोजपुरियो में ओहि लेखा जाइब रउआ..हमरा बुझाता व्यवहार के जगह बेवहार होइ. काहे कि जेह हिंदी के संभ्रांतता से अलग हटे खातिर भोजपुरी के रस्ता बन-ता ऊ लोक के रस्ते जाई, अभिजन के रस्ते ना...ओइसे रउआ जे बूझीं...
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