9 अक्तूबर 2013

गरबे के रँग में रँगा, सारा हिंदुस्तान - ओम प्रकाश नौटियाल

नमस्कार

ठाले-बैठे के तीन साल पूरे होने पर बधाई देने वाले सभी साथियों का सहृदय आभार।आयोजन को आगे बढ़ाते हुये आज हम पढ़ते हैं ओम प्रकाश नौटियाल जी के दोहे। ओम प्रकाश जी वड़ोदरा से हैं और हम से पहली बार जुड़ रहे हैं। आइये आप का स्वागत करें। अहमदाबाद, वड़ोदरा, राजकोट, सूरत, जूनागढ़ वग़ैरह वह शहर हैं जहाँ गरबा अपने मूलरूप में दृष्टिगोचर होता है। कैरियर के शुरुआती दिन मैं ने वड़ोदरा में गुजारे हैं इसलिये इस बात को कह पा रहा हूँ। ओम प्रकाश जी के दोहों में किंचित वह झलक देखने को मिली :-

आश्विन बीता, आ गया, शारदीय नवरात
अब ढोलक की थाप पर, थिरकेगा गुजरात

गरबा 
माँ तेरे परताप से, यों गरबे में दीप
चमत्कार से जिस तरह, चमका हो मुख-सीप
गरबा नृत्य
 दिलवालों की फ़ौज ने, ऐसा किया कमाल
जड़-चेतन सब हो गये, पल में मालामाल

कल शब भर नाचा किये, तनिक हुये बिन त्रस्त
मस्ती करने आज फिर, आ धमके अलमस्त
 
गरबा मस्ती
चणिया,चोली, केडिया, सुन्दर सब परिधान
गरबे के रँग में रँगा, सारा हिंदुस्तान

मिट्टी की एक गगरी / मटकी टाइप होती है जिसे गरबा कहा जाता है, फोटो भी दिया जा रहा है। पुराने ज़माने में [कई जगह आज भी] इस गरबे को सर पर रख कर नाचा जाता है तथा ऐसे नृत्य को ही गरबा-नृत्य कहा  जाता है। उस गरबे में रखे दीप की जो कल्पना ओम प्रकाश जी ने की है उस के लिये उन्हें अनेक साधुवाद। साथियो आनन्द लीजिये इन दोहों का और इन्हें नवाज़िए अपने कमेण्ट्स से। 


नमस्कार 

15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है। पढ़कर ही मन भाव विभोर हो गया। धन्य है हमारा देश, हमारी संस्कृति!
    ओमप्रकाश जी जी को हार्दिक बधाई

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  2. प्रशंसनीय - बहुत बढ़िया

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  3. अति सुन्दर रमणीय दोहावली .......

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  4. ओम प्रकाश जी आपका स्वागत है. फेस बुक पर हम अक्सर आपकी रचनाएँ पढ़ते रहते हैं.
    गरबा के रंग में रंगे दोहों के लिए बंधाई.

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  5. आदरणीय ओमप्रकाशजी के दोहों ने नवरात्र की सात्विकता और सामाजिक व्यवहार को सार्थक रूप से प्रस्तुत किया है.
    आपको सादर बधाइयाँ और नवरात्र की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
    शुभ-शुभ

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  6. अच्छे दोहे हैं ओम प्रकाश जी के, उन्हें बहुत बहुत बधाई

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  7. दोहे पसंद करने के लिए और उन्हें अपने सराहना शब्दों से नवाजने के लिए मैं आप सभी गुणी जनों का आभार व्यक्त हूं । मैं मा. नवीन चतुर्वेदी जी का हृदय से आभारी हूं जिनके प्रोत्साहन और मार्गदर्शन के कारण इन दोहों को वर्तमान स्वरूप में आपके सम्मुख प्रस्तुत किया जा सका है ।
    आप सभी मित्रों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाऎँ ।

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