1 अक्तूबर 2013

तेरा हो या न हो, मेरा है वास्ता - आदित्य चौधरी

तेरा हो या न हो, मेरा है वास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता

उसके खेतों से और उसके खलिहान से
छोटे जुम्मन की फूफी की दूकान से
उसके कमज़ोर काँधों के सामान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

माँगते भीख इंसान इंसान से
सर्द रातों से लड़ती हुई जान से
और हर गाँव में बनते वीरान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

आँख से जो न टपकी हो उस बूँद से
कसमसाते हुए दिल की हर गूँज से
बिन लिखे उन ख़तों के मज़मून से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

करवटों से परेशान फ़ुटपाथ से
उस मुहल्ले के बिछड़े हुए साथ से
और हँसिए को थामे हुए हाथ से

मेरा है वास्ता, है मेरा वास्ता

उसके अल्लाह से और भगवान से
उसके भजनों से भी, उसकी अज़ान से
और दंगों में जाती हुई जान से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

उसके चूल्हे की बुझती हुई आग से
उस हवेली की जूठन, बचे साग से
टूटी चूड़ी के फूटे हुए भाग से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

कम्मो दादी की धोती के पैबंद से
और पसीने की आती हुई गंध से
उसके जूआ छुड़ाने की सौगंध से

है मेरा वास्ता, मेरा है वास्ता

उसकी छत से टपकती हुई बूँद से
सरहदों पर बहाए हुए ख़ून से
ज़ुल्म ढाते हुए स्याह क़ानून से

तेरा हो या न हो, तेरा हो या न हो, मेरा है वास्ता
जाना पहचाना लगता है ये रास्ता
कितना अपना सा लगता है ये रास्ता

मेरा है वास्ता, मेरा है वास्ता
मेरा है वास्ता, मेरा है वास्ता

: आदित्य चौधरी 
[संस्थापक - भारत कोष व ब्रज डिस्कवरी]

1 टिप्पणी:

  1. उसकी छत से टपकती हुई बूँद से
    सरहदों पर बहाए हुए ख़ून से
    ज़ुल्म ढाते हुए स्याह क़ानून से

    तेरा हो या न हो, तेरा हो या न हो, मेरा है वास्ता ..

    दर्द की इस पुकार से सभी का वास्ता है .. इस सरज़मीं से सभी का वास्ता है ... ओर रहना भी चाहिए ... लाजवाब गीत है ... हर छंद कमाल है ...

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