नमस्कार
खुर्शीद खैराड़ी भाई के दोहों ने माहौल में रंग जमा दिया है। उसी रंगत को और अधिक चटख बनाते दोहा मुक्तक ले कर आ रही हैं आदरणीया कल्पना रामानी जी। मञ्च के विशेष अनुरोध पर आप ने दोहा मुक्तकों की रचना की है, जिस के लिये मञ्च आप का आभारी है। दोहा मुक्तक आज कल अपने फ्लेवर के चलते कई रचनाधर्मियों को आकर्षित कर रहे हैं। दोहा मुक्तक में चार चरण होते हैं। चारों चरण बिलकुल दोहे के शिल्प के मुताबिक़ ही होते हैं। पहले, दूसरे और चौथे चरण की तुक समान और तीसरे चरण की तुक अ-समान होना अनिवार्य है। शेष इन मुक्तकों को देख कर भी आइडिया लगाया जा सकता है। दोहा मुक्तकों का ज़ायका आप को कैसा लगा, बताइएगा
अवश्य:-
मेला है नवरात्रि
का,
फैला
परम प्रकाश।
देवी की जयकार से, गूँज उठा
आकाश।
माँ प्रतिमा सँग
घट सजे,
चला
जागरण दौर।
आलोकित जीवन हुआ, कटा तमस
का पाश।।
आस्तिकता, विश्वास
में,
भारत
देश कमाल।
गरबा उत्सव की मची, चारों ओर धमाल।
अर्पित कर भाव्याञ्जलि
,
जन-जन
हुआ निहाल।।
बड़े गर्व की बात
है,
भारत
इक परिवार।
आता है जब क्वार
का,
शुक्ल
पक्ष हर बार।
जुटते पूजा पाठ
में,
भेद
भूल सब लोग।
दुर्गा मातु
विराजतीं,
घर-घर
मय शृंगार।।
भक्ति-पूर्ण माहौल
का,
जब
होता निर्माण।
दुष्ट-दुष्टतम रूह
भी,
बने
शुद्धतम प्राण।
जीवन भर हों पाप
में,
रत
चाहे ये लोग।
पर देवी से माँगते, मृत्यु-बाद
निर्वाण।।
रमता मन नवरात में, त्याग, भोग-जल-अन्न।
इस विधि होता पर्व ये, नौ दिन में सम्पन्न।
मेले, गरबे, झाँकियाँ, सजते सारी
रात।
देवी के आह्वान से, होते सभी प्रसन्न।।
दनुज नहीं तुम हो
मनुज,
मत
भूलो इनसान।
नारी से ही बंधुवर, है आबाद
जहान।
देवि-शक्ति माँ
रूप है,
नारी
भव का सार।
मान बढ़ाओ देश का, कर नारी
का मान।।
"मान बढ़ाओ देश का, कर नारी
का मान"। काश यह बात उन दरिंदों को भी समझ आ जाती जिन्होंने पिछले साल राजधानी को
शर्मसार किया था। आ. कल्पना दीदी, आप ने मेरी प्रार्थना स्वीकार की, उस के
लिये पुन: आप का बहुत-बहुत आभार। तो साथियो, आनन्द
लीजिये इन दोहा मुक्तकों और इन्हें नवाज़िए अपने सुविचारों के साथ। मैं तैयारी करता हूँ अगली पोस्ट की।
नमस्कार
विशेष निवेदन :- जिन साथियों ने अपने दोहे / दोहा मुक्तक भेजने हों, लास्ट में लास्ट बुधवार [9 अक्तूबर] तक भेजने की कृपा करें।
विशेष निवेदन :- जिन साथियों ने अपने दोहे / दोहा मुक्तक भेजने हों, लास्ट में लास्ट बुधवार [9 अक्तूबर] तक भेजने की कृपा करें।
नवीन जी, आपने मेरी रचना को इतना मान दिया, इसके लिए हृदय से आभार। मेरे मन की आवाज़ काश!....उन राक्षसों तक पहुँच पाती...
जवाब देंहटाएंआ. नवीनजी दोहा मुक्तक छंद का परिचय कराने हेतु आपका हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंसामयिक एवं सटीक अति सुन्दर प्रस्तुति हेतु आदरणीयाआपको हार्दिक बधाई. अंतिम मुक्तक छंद तो सचमुच अपने आपमें बेमिशाल है
आ. कल्पना रामानी जी
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार
इतनी भावपूर्ण दोहामुक्ताकावली की प्रस्तुति हेतू आ. नवीन भाई सा एवं आप साधुवाद के सुपात्र है नवरात्री पर मातृशक्ति को अति सुंदर तथा भक्तिपूर्ण भावांजलि हेतू कोटिशः आभार
जे अम्बे
रचना को आपकी स्नेहपूर्ण टिप्पणी मिली, मन बहुत प्रसन्न हुआ। आपका हृदय से धन्यवाद।
हटाएंशिल्प में शुद्धता और भावाभिव्यक्ति में स्पष्टता आदरणीया कल्पनाजी की रचनाओं की विशेषता है.
जवाब देंहटाएंछंद-वाचन पर आपकी ही पंक्तियों से आपको नमन कर रहा हूँ -- जन-जन हुआ निहाल.
आपकी इस प्रस्तुति पर मेरी सादर बधाइयाँ.
आदरणीय सौरभ जी, रचना पर आपकी उपस्थिति मात्र से उत्साह कई गुना बढ़ जाता है। मेरी रचना का मान बढ़ाने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद।
हटाएंआदरणीय सत्यनारायन जी, प्रोत्साहित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट छंद रचना
जवाब देंहटाएंlatest post: कुछ एह्सासें !
नई पोस्ट साधू या शैतान
आस्तिकता, विश्वास में, भारत देश कमाल।
जवाब देंहटाएंगरबा उत्सव की मची, चारों ओर धमाल।
शक्तिमान, अपराजिता, माँ दुर्गा को पूज।
अर्पित कर भाव्याञ्जलि , जन-जन हुआ निहाल।।..................यही तो अपने देश की विशेषता है|
सभी दोहे मुक्तक लाजवाब है..........आ० कल्पना जी को हार्दिक बधाई !!
आपकी लिखी रचना की ये चन्द पंक्तियाँ.........
जवाब देंहटाएंमेला है नवरात्रि का, फैला परम प्रकाश।
देवी की जयकार से, गूँज उठा आकाश।
माँ प्रतिमा सँग घट सजे, चला जागरण दौर।
आलोकित जीवन हुआ, कटा तमस का पाश।।
बुधवार 09/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
को आलोकित करेगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
शिल्प ओर मितव्ययी भाषा लिए सभी दोहा मुक्तक मन को छूते हैं ... नारी का मान हमारी परंपरा रही है इसे आगे बढ़ाना है जोर शोर से ...
जवाब देंहटाएंसभी दोहे बहुत सुन्दर और भाव प्रवण हैं... बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना, सबको नवरात्रि की शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे हैं कल्पना जी के, उन्हें बहुत बहुत बधाई और बारंबार बधाई
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