तिनका कबहुँ न निंदिये, पाँव तले भलि होय ।
कबहूँ उड़ आँखन पड़े, पीर घनेरी होय ॥
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर ।
रात गँवाई सोय के, दिवस गँवाया खाय ।
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय ॥
बडा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर ॥
उठा बगूला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥
साधू गाँठ न बाँधई उदर समाता लेय।
आगे पाछे हरि खड़े जब माँगे तब देय॥
उट्ठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास।
जवाब देंहटाएंतिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥
इस दोहे में बगुला की जगह बगूला रहे तो अर्थ निखर कर अ रहा है, भाईजी.
उठा बगूला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास.. .
सादर