27 सितंबर 2012

निदा फ़ाजली के दोहे

सीधा साधा डाकिया जादू करे महान
इक ही थैली में भरे आँसू अरु मुस्कान ॥

घर को खोजे रात दिन घर से निकले पाँव
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव॥

मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार॥

बच्चा बोला देखके मस्जिद आलिशान
अल्ला' तेरे एक को इत्ता बड़ा मकान॥

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपका बहुत बहुत आभार !


    कुछ बहरे आज भी राज कर रहे है - ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग जगत मे क्या चल रहा है उस को ब्लॉग जगत की पोस्टों के माध्यम से ही आप तक हम पहुँचते है ... आज आपकी यह पोस्ट भी इस प्रयास मे हमारा साथ दे रही है ... आपको सादर आभार !

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  2. निदा फ़ाज़ली के दोहों का अपना अलग ही अंदाज़ रहा है. इन दोहों को भी साझा करने के लिये हार्दिक धन्यवाद, नवीनभाई.

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  3. बहुत सुंदर लगे दोहे...साझे का शुक्रि‍या

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