क्र.
|
बह्र का नाम
बह्र के अरकान , वर्णिक संकेत
[1= लघु अक्षर, 2 = गुरु अक्षर]
|
शेर बतौरे-नज़ीर
तक़तीअ
|
1
|
बहरे कामिल मुसम्मन सालिम
मुतफ़ाएलुन मुतफ़ाएलुन मुतफ़ाएलुन मुतफ़ाएलुन
11212 11212 11212 11212
|
ये चमन ही अपना वुजूद है
इसे छोड़ने की भी सोच मत
नहीं तो बताएँगे कल को क्या
यहाँ गुल न थे कि महक न थी
य चमन हि अप / न वुजूद है
इस छोड़ने / कि भि सोच मत
नहिं तो बता / एँ ग कल कु क्या
यहँ गुल न थे / कि महक न थी
|
2
|
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाएलातुन मुफ़ाएलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
|
प्यास को प्यार करना था केवल
एक अक्षर बदल न पाये हम
प्यास को प्या / र करन था / केवल
एक अक्षर / बदल न पा / ये हम
|
3
|
बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूर
मफ़ऊल फ़ाएलातुन मफ़ऊल फ़ाएलातुन
221 2122 221 2122
|
जब जामवन्त गरजा, हनुमत में जोश जागा
हमको जगाने वाला, लोरी सुना रहा है
जब जाम / वन्त गरजा / हनुमत म / जोश जागा
हमको ज / गान वाला / लोरी सु / ना रहा है
|
4
|
बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाएलुन फ़एलातुन मुफ़ाएलुन फ़ेलुन /फ़एलुन
1212 1122 1212 22 / 112
|
कभी तो इश्क़ नदी में उतर के भी देखो
नदी किनारे ही पानी को छपछपाना क्या
कभी त इश् / क़ नदी में / उतर क भी / देखो
नदी किना र हि पानी / कु छपछपा / ना क्या
|
5
|
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊल फ़ाएलात मुफ़ाईलु फ़ाएलुन
221 2121 1221 212
|
तारे बेचारे ख़ुद भी सहर के हैं मुन्तज़िर
सूरज ने उगते-उगते ज़माने लगा दिये
तारे ब / चार ख़ुद भि / सहर के हँ / मुन्तज़िर
सूरज न / उगत उगत / ज़माने ल / गा दिये
|
6
|
बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122
|
कहानी बड़ी मुख़्तसर है
कोई सीप कोई गुहर है
कहानी / बड़ी मुख़् / त सर है
कुई सी / प कोई / गुहर है
|
7
|
बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122
|
वो जिन की नज़र में है ख़्वाबे-तरक़्क़ी
अभी से ही बच्चों को पी. सी. दिला दें
वु जिन की / नज़र में / ह ख़्वाबे / तरक़्क़ी
अभी से / हि बच्चों / कु पी. सी. / दिला दें
|
8
|
बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
|
इबादत की किश्तें चुकाते रहो
किराये पे है रूह की रौशनी
इबादत / कि किश्तें / चुकाते / रहो
किराये / प है रू / ह की रौ / शनी
|
9
|
बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन
212 212 212
|
चाहे जितने भी होठों पे हो
झूठ चलता नहीं उम्र भर
चाह जित / ने भि हो / ठों प हो
झूठ चल / ता नहीं / उम्र भर
|
10
|
बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ा
212 212 212 2
|
अब उभर आयेगी उस की सूरत
बेकली रंग भरने लगी है
अब उभर / आयगी / उस कि सू / रत
बेकली / रंग भर / ने लगी / है
|
11
|
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ाएलुन
212 212 212 212
|
अब उजालों में भी सूझता कुछ नहीं
आप रुख़सत हुए छिन गयी रौशनी
अब उजा / लों म भी / सूझता / कुछ नहीं
आप रुख़ / सत हुए / छिन गयी / रौशनी
|
12
|
बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
मुफ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ऊलुन मुफ़ाएलुन फ़ाएलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 122
|
बड़ी सयानी है यार क़िस्मत,
सभी की बज़्में सजा रही है
किसी को जलवे दिखा रही है
कहीं जुनूँ आजमा रही है
बड़ी सया / नी ह या / र क़िस्मत,
सभी कि बज़ / में सजा / रही है
किसी कु जल / वे दिखा / रही है
कहीं जुनूँ / आजमा / रही है
|
13
|
बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन
2212 2212
|
ये नस्ले-नौ है साहिबो
अम्बर से लायेगी नदी
ये नस ल नौ / है साहिबो
अम्बर स ला / येगी नदी
|
14
|
बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़एलुन मुफ़ाएलुन
2212 1212
|
क्या आप भी ज़हीन थे
आ जाइए – क़तार में
क्या आप भी / ज़हीन थे
आ जाइए / क़तार में
|
15
|
बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन
2212 2212 2212
|
मैं वह नदी हूँ थम गया जिस का सफ़र
अब क्या करूँ क़िस्मत में कंकर भी नहीं
मैं वह नदी / हूँ थम गया / जिसका सफ़र
अब क्या करूँ / क़िस्मत म कं / कर भी नहीं
|
16
|
बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन मुस्तफ़एलुन
2212 2212 2212 2212
|
उस पीर को परबत हुए काफ़ी ज़माना हो गया
उस पीर को फिर से नयी इक तरजुमानी चाहिए
उस पीर को / परबत हुए / काफ़ी ज़मा / ना हो गया
उस पीर को / फिर से नयी / इक तरजुमा / नी चाहिए
|
17
|
बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122
|
मौत से मिल लो, नहीं तो
उम्र भर पीछा करेगी
मौत से मिल / लो नहीं तो
उम्र भर पी / छा करेगी
|
18
|
बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाएलातुन फ़एलातुन फ़ेलुन
2122 1122 22
|
सनसनीखेज़ हुआ चाहे है
तिश्नगी तेज़ हुआ चाहे है
सनसनीखे / ज़ हुआ चा / हे है
तिश्नगी ते / ज़ हुआ चा / हे है
|
19
|
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलुन
2122 2122 212
|
फ़िक्र का नामो-निशाँ तक था नहीं
क्या मज़े थे माँ तुम्हारी गोद में
फ़िक्र का ना / मो निशाँ तक / था नहीं
क्या मज़े थे / माँ तुम्हारी / गोद में
|
20
|
बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122 2122
|
ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझ को
इन की आँखों में ग़ज़ब की रौशनी है
ये अँधेरे / ढूँढ ही ले / ते हँ मुझ को
इन कि आँखों / में ग़ज़ब की / रौशनी है
|
21
|
बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलुन
2122 2122 2122 212
|
वह्म चुक जाते हैं तब जा कर उभरते हैं यक़ीं
इब्तिदाएँ चाहिए तो इन्तिहाएँ ढूँढिए
वह्म चुक जा / ते हँ तब जा / कर उभरते / हैं यक़ीं
इब्तिदाएँ / चाहिए तो / इन्तिहाएँ / ढूँढिए
|
22
|
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाएलातुन फ़एलातुन फ़एलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
|
जैसे चूमा हो तसल्ली ने हरिक चहरे को
उस के दरबार में साकार मुहब्बत देखी
जैस चूमा / ह तसल्ली / न हरिक चह / रे को
उस क दरबा / र म साका / र मुहब्बत / देखी
|
23
|
बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]
फ़एलात फ़ाएलातुन फ़एलात फ़ाएलातुन
1121 2122 1121 2122
|
वो जो शब जवाँ थी हमसे उसे माँग ला दुबारा
उसी रात की क़सम है वही गीत गा दुबारा
वु जु शब ज / वाँ थि हमसे / उस
माँग / ला दुबारा
उसि रात / की क़सम है / वहि गीत / गा दुबारा
|
24
|
बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन
2122 2122 2122 2122
|
कल अचानक नींद जो टूटी तो मैं क्या देखता हूँ
रात की शह पर कई तारे शरारत कर रहे हैं
कल अचानक / नींद जो टू / टी त मैं क्या / देखता हूँ
रात की शह / पर कई ता / रे शरारत / कर रहे हैं
|
25
|
बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन ,
1222 1222 122
|
हवा के साथ उड़ कर भी मिला क्या
किसी तिनके से आलम सर हुआ क्या
हवा के सा / थ उड़ कर भी / मिला क्या
किसी तिनके / स आलम सर / हुआ क्या
|
26
|
बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
|
ग़मों का भी मुक़द्दर होता है साहब
हरिक तकलीफ़ को आँसू नहीं मिलते
ग़मों का भी / मुक़द्दर हो / त है साहब
हरिक तकली / फ़ को आँसू / नहीं मिलते
|
27
|
बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़
मफ़ऊल मुफ़ाईल मुफ़ाईल फ़ऊलुन
221 1221 1221 122
|
आवारा कहा जाएगा दुनिया में हरिक सू
सँभला जो सफ़ीना किसी लंगर से नहीं था
आवार / कहा जाय / ग दुनिया म / हरिक सू
सँभला जु / सफ़ीना कि / सि लंगर स / नहीं था
|
28
|
बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक
सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
|
हम दोनों मुसाफ़िर हैं इस रेत के दरिया के
उनवाने-ख़ुदा दे कर तनहा न करो मुझ को
हम दोन / मुसाफ़िर हैं / इस रेत / क दरिया के
उनवान / ख़ुदा दे कर / तनहा न / करो मुझ को
|
29
|
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
फ़ाएलुन मुफ़ाईलुन फ़ाएलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
|
ख़ूब थी वो मक़्क़ारी ख़ूब ये छलावा है
वो भी क्या तमाशा था ये भी क्या तमाशा है
ख़ूब थी / वु मक़्क़ारी / ख़ूब ये / छलावा है
वो भि क्या / तमाशा था / ये भि क्या / तमाशा है
|
30
|
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़,
मक़्बूज़
फ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन
212 1212 1212 1212
|
क्या अजीब खेल है ग़रीब के नसीब का
काम आ रहा न कोई दूर या क़रीब का
क्या अजी / ब खेल है / ग़रीब के / नसीब का
काम आ / रहा न को / इ दूर या / क़रीब का
|
31
|
बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन
1212 1212 1212 1212
|
हमारी ओर देखकर यों मुस्कुराया मत करो
तुम्हें तो लुत्फ़ आ गया हमारे ग़म बहक गये
हमारि ओ / र देखकर / युँ मुस्कुरा / य मत करो
तुम्हें त लुत / फ़ आ गया / हमार ग़म / बहक गये
|
32
|
बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
|
मुझे पहले यों लगता था करिश्मा चाहिए मुझको
मगर अब जा के समझा हूँ क़रीना चाहिए मुझको
मुझे पहले / युँ लगता था / करिश्मा चा / हिए मुझको
मगर अब जा / क समझा हूँ / क़रीना चा / हिए मुझको
|
|
|
|