लघु उद्योगन तें गरीबन सँभार होत
प्यार होत समृद्धि औ संपति के पाये ते
छोटे परिवारमें दुलार होत संतति कौ
सार औ सँभार होत दो ही सुत* जाये ते
सिच्छा के प्रचार ही ते पावन विचार होत
कोऊ ना लाचार होत बुद्धि बिकसाये ते
'प्रीतम' अपार अन्न-धन कौ भण्डार होत
सुख कौ अधार होत खेत हरियाये ते
*यहाँ 'दो सुत' का अभिप्राय 'दो बच्चों' से है
:- यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'
['राष्ट्र हित शतक' से साभार]
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