राधा रानी और तुलसी पूजा |
श्री राधा आराध्य सुगम गति आराधन की।
जो अति अगम अपार न है मति जहँ निगमन की।
ज्ञान मान की खान ध्यान धारा भगतन की।
प्रिय 'प्रीतम' की प्रान प्रमान पतित पावन की।।
बरसाना राधा रानी महल |
श्री राधा सर्वेश्वरी, राधा सरबस ग्यान।
रसिकन निधि राधा हिये, राधा रसिकन प्रान।।
राधा रसिकन प्रान, नित्य गति आराधन की।
हरन सदा त्रय ताप, सकल रूजि भव बाधन की।
साधन सुलभ सुगम्य रम्य रस रूप अगाधा।
'प्रीतम' पीवत रहत सतत भज जै श्री राधा।।
श्री चरण राधारानी के |
राधा बैन रसाल, नवल राधा पिक-बैनी।
राधा मोहिनि नवल, राधिका सहचरि श्रेनी।
राधा सहचरि रंग बिहारिनि राधा-राधा।
राधा 'प्रीतम' प्रान पियारी जै श्री राधा।।
राधारानी मन्दिर की सीढ़ियाँ |
जप तप तीर्थ ब्रत नेम धर्म कर्म पुन्य
तीन लोक दान हूँ की पूरन प्रसाधिका।
रिसि मुनि सिद्ध सुर साधन प्रवाहिका औ
रास रस वर्द्धनी रसेश्वरी उपाधिका।
'प्रीतम' सु कवि आधि-ब्याधि की बिनासिका ह्वै
ब्रज बन बीच बनि नित्य निरबाधिका।
अगम निगम जग सुगम अराधिता सी
प्रगटी हीं ब्रज ब्रजराज प्रिया राधिका।।
:- यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'
[सभी चित्र गूगल से साभार ]
अति सुंदर......
जवाब देंहटाएंराधे राधे....
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंराधा रानी की जय, महारानी की जय,
जवाब देंहटाएंबोलो बरसाने वाले की जय जय जय।
बहुत सुंदर बेहतरीन रचना,,,,,,राधे राधे ,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST .... काव्यान्जलि ...: अकेलापन,,,,,
राधे राधे ... इस मधुर रचना के साथ मन भी राधे हो गया ... अति मनोहर गीत ...
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ठ प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 29/5/12 को राजेश कुमारी द्वारा
जवाब देंहटाएंचर्चामंच मंच पर की जायेगी |
---क्या बात है नवीन जी ---धन्यभाग राधारानी के धाम के पुनर्दर्शन से ..
जवाब देंहटाएं----जनम जनम के पाप नसावें.....आभार ..राधे-राधे...
राधे राधे .. .
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