उद्घोषणा पढ़िये 'समस्या - पूर्ति' वाले मंच की।
हरिगीतिका में छन्द रच कर, भेजिये अविलम्ब ही।।
'अनुरोध' - 'उत्सव' औ 'कसौटी', शब्द तीन दिये गये।
आह्वान है सब से, करें, अभि-नव प्रयोग नये नये।१।
बीसों विषय हैं अनछुए, निज - रुचि मुताबिक छांटिए।
अर्जित तजुर्बा-जानकारी, साथ सब के बाँटिए।।
रचते समय हो मूड जैसा, रस वही ले लीजिये।
गर हो मुनासिब, आप छंदों - को अलंकृत कीजिये।२।
कविधर्म रचनाधर्म, कवि का - कर्म, रचनाकर्म है।
कवि की नज़र से बच सका हो, कौन सा वो मर्म है।।
हो वक़्त कोई भी, सदा ही, नब्ज, कवि-कर में रही।
संसार को जो दे दिशा, कवि - सत्य में तो है वही।३।
[हरिगीतिका छन्द]
समस्या पूर्ति मंच -पाँचवी समस्यापूर्ति - हरिगीतिका छन्द - घोषणा
हरिगीतिका में छन्द रच कर, भेजिये अविलम्ब ही।।
'अनुरोध' - 'उत्सव' औ 'कसौटी', शब्द तीन दिये गये।
आह्वान है सब से, करें, अभि-नव प्रयोग नये नये।१।
बीसों विषय हैं अनछुए, निज - रुचि मुताबिक छांटिए।
अर्जित तजुर्बा-जानकारी, साथ सब के बाँटिए।।
रचते समय हो मूड जैसा, रस वही ले लीजिये।
गर हो मुनासिब, आप छंदों - को अलंकृत कीजिये।२।
कविधर्म रचनाधर्म, कवि का - कर्म, रचनाकर्म है।
कवि की नज़र से बच सका हो, कौन सा वो मर्म है।।
हो वक़्त कोई भी, सदा ही, नब्ज, कवि-कर में रही।
संसार को जो दे दिशा, कवि - सत्य में तो है वही।३।
[हरिगीतिका छन्द]
समस्या पूर्ति मंच -पाँचवी समस्यापूर्ति - हरिगीतिका छन्द - घोषणा
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