23 जून 2012

लघु उद्योगन तें गरीबन सँभार होत - यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'

लघु उद्योगन तें गरीबन सँभार होत
प्यार होत समृद्धि औ संपति के पाये ते

छोटे परिवारमें दुलार होत संतति कौ
सार औ सँभार होत दो ही सुत* जाये ते

सिच्छा के प्रचार ही ते पावन विचार होत
कोऊ ना लाचार होत बुद्धि बिकसाये ते

'प्रीतम' अपार अन्न-धन कौ भण्डार होत
सुख कौ अधार होत खेत हरियाये ते

*यहाँ 'दो सुत' का अभिप्राय 'दो बच्चों' से है 

:- यमुना प्रसाद चतुर्वेदी 'प्रीतम'
['राष्ट्र हित शतक' से साभार]

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें