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हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास
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3 जनवरी 2025
माज़ी की गलियाँ - मुमताज़ अज़ीज़ नाज़ाँ
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ये माज़ी की गलियाँ , वो यादों के घेरे जहाँ रात-दिन हैं उदासी के फेरे हैं अंजान से जाने-पहचाने चेहरे मेरे दर्द-ओ-वहशत से बेगाने चेहरे ...
मुबारक साल नया – देवमणि पाण्डेय
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आकाश में दिन भर जलकर जब घर लौट के सूरज आया है तब शाम ने अपने आंचल में हौले से उसे छुपाया है सुरमई शाम की पलकों पर कितने अरमान मचलत...
एक बड़े आदमी की पत्नी हूँ मैं – सन्ध्या यादव
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भाग्यशाली हूँ , ईर्ष्या, कुण्ठा, प्रतिस्पर्धा का कारण हूँ वैसे तो रीढ़ की हड्डी ही उसके संसार की हूँ , पर ब्रांडेड , चमकदार कपड़ों से ढँ...
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संस्कृत दोहे हिन्दी अर्थ सहित - डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय
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याति भीतिभयभीषणं वर्षं दर्पितमेव , जनयेज्जनगणमङ्गलं , नववर्षं हे देव ! नवलचिन्तनं दर्शनं चलनं मननं स्यात् नवलं यज्जीवनमिदं हे भग...
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दोहे - राजमूर्ति 'सौरभ'
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राधे! राधे!राधिका , मोहन!मोहन! श्याम। दोनों ही जपने लगे , अपना-अपना नाम।। एक दूसरे को जपें , निशिदिन , आठों याम। साधारण प्रेमी ...
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एक नायाब पेशकश - 2024 की दिलकश ग़ज़लें
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25 अगस्त , 1953 को जितौरा , पियरो , आरा , बिहार में जन्मे आदरणीय रमेश कँवल जी भी उन चुनिन्दा लोगों में शामिल हैं जिनकी कि ऊर्जा कोविड के ब...
नये साल के दोहे - रमेश शर्मा
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आई है नव वर्ष की , नई नवेली भोर । खिड़की से दिल की मुझे , झाँक रहा चितचोर ।। पहुँची हो चौबीस में , लेखन से कुछ ठेस । क्षमा ह्रदय स...
बुलबुल का भी दिल अब पिंजरे में शायद बेताब नहीं होता - मसऊद जाफ़री
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बुलबुल का भी दिल अब पिंजरे में शायद बेताब नहीं होता जिस दिन से सुना है फूलों पर वो हुस्नो शबाब नहीं होता मैं उन का क़सीदा क्या लिक...
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