हिन्दुस्तानी-साहित्य सेवार्थ एक शैशव-प्रयास
बहुत दिनो के बाद मिली हो
कैसी हो कमला?
चुप रहे तुम
वक़्त था जब बोलने का
अब तुम्हारी
चीख का हम क्या करेंगे
कितना काम किया
कितना है और बचा
छोड़ छोड़
आ जा आ
थोड़ा बतिया लें
गीतों में दुनिया को गाना
मानो इकतारा हो जाना
हम लहर पर आज ही
दीपक सिराना छोड़ देंगे
शर्त है, पर,
तुम तमस से
आँख डाले आँख में
बातें करोगे