5 जनवरी 2014

गाय के दोहे - नवीन

होता है जिस का हृदय, दया-प्रेम का धाम
उस को देते हैं किशन, गौशाला का काम

ऋषि-मुनियों ने सूत से, पूछा - क्या है श्रेष्ठ
फ़ौरन बोले सूत जी, गौ सेवा है श्रेष्ठ

कौन काम लाभार्थ है कौन काम परमार्थ
गौ-पालन लाभार्थ है, गौ-सेवा परमार्थ

उस माँ को शत-शत नमन, वन्दन बारम्बार
गौ सेवा करता रहे, जिस का घर-परिवार

ऐसे मनुआ श्रेष्ठ हैं, उन को कहो कुलीन
रहते हैं जो हर घड़ी गौ सेवा में लीन

इक दिन बस यूँ ही किया, हम ने गूगल सर्च
शौक़-मौज़ से कम लगा, एक गाय का खर्च

यदि चहरे पर चाहिये, रूप और लालित्य
दही, दूध, गौ-मूत्र का, सेवन करिये नित्य

सीधे दिल तक जायगी अमरित रस की धार
गैया के थन से कभी होंठ लगा तो यार

खान साब! ये हम नहीं, कहती है कुरआन
गौमाता के पेट में है दौलत की खान

समझा है यूनान ने, लगा-लगा कर जोड़
खाओगे गौ-माँस तो, बढ़ सकती है कोढ़

इंगलिश में पढ़ कर मुझे, ज्ञात हुआ ये ज्ञान
गौ गोबर अरु सींग से, फ़स्ल बने गुणवान

एक बार यदि मान लें, मार्टिन का प्रारूप
गौ-गोबर से, तेल के, भर सकते हैं, कूप

अमरीका, इङ्ग्लेंड भी, करने लगे बखान
अब तो गौ के दूध की महिमा को पहिचान

कोई भी संसार में, करता नहीं विरोध
अपना आयुर्वेद है, युगों युगों का शोध

चलो यहीं पे रोक दें, ये पगलौट जुनून
एलोपैथिक मेडिसिन, देती नहीं सुकून

अगर गाय की पीठ पर, फेरे कोई हाथ
हो सकता है छोड़ दे, बी. पी. उस का साथ

गैया खाये साल में जितने का आहार
उस से दस गुण मोल के देती है उपहार

बछिया होती है अगर, मिलें दूध के दाम
बछड़ा भी हो जाय तो, करे खेत का काम

दुद्दू पी कर, भेंस के - पड्डा जी अलसात
लेकिन बछड़ा गाय का, करता है उत्पात

यदि पैसे ही से तुझे, समझ पड़े है मोल
तो भैया फिर दूध से, मट्ठा तक तू तोल

:- नवीन सी. चतुर्वेदी






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11 टिप्‍पणियां:

  1. गाय हमारे जीवन का आधार है, हमारी माँ है।

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  2. सुन्दर गाय पुराण जो किया नवीन बखान,
    धन्य भाग हम हुए, सुन विविध भाव गुणगान |
    दूध छाछ नवनीत घी है अमृत के समान ,
    इसीलिये जगमें मिला माता सा सम्मान |

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  3. बहुत सुन्दर रचना गाय महिमा पर !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |

    नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति

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  4. एलोपेथिक एवं आयुर्वेदिक में मूलभूत अंतर यह है कि आयुर्वेदिक में रासायनिक औषधीय तत्वों को पौधों के परिष्करणोंपरांत ही ग्रहण किये जाते है जबकि एलोपेथिक में यह सीधे ही ग्राह्य है जिसके कारण इसके कई पार्श्व प्रभाव भी उत्पन्न हो जाते हैं |
    ऍलोपेथिक चिकित्सा ने शल्य क्रिया में एक क्रान्ति लाई जिस कारण यह विश्व में सर्वमान्य हुई.....

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  5. सरल दोहा छंद में सुन्दर गौ महिमावली की प्रस्तुति हुई है आदरणीय

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  6. चतुर्वेदी जी रोज गो मूत्र पी रहे हो की नही, आप मूत्र पिया करे
    हम तो दूध, दही खाते पीते है

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  7. जय गौ माता !
    आप धन्य हो।

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