नर्क का तर्क
स्वर्ग-नर्क के
बीच की चटख गई दीवार ।
कौन कराए रिपेयर
इस पर थी तकरार ॥
इस पर थी तकरार, स्वर्गवासी
थे सहमत ।
आधा-आधा खर्चा दो
हो जाए मरम्मत ॥
नर्केश्वर ने कहा
– गलत है नीति तुम्हारी ।
रंचमात्र भी नहीं
हमारी जिम्मेदारी ॥
जिम्मेदारी से
बचें कर्महीन डरपोक ।
मान जाउ नहिं
कोर्ट में दावा देंगे ठोंक ॥
दावा देंगे ठोंक ? नरक
मेनेजर बोले ।
स्वर्गलोक के नर
नारी होते हैं भोले ॥
मान लिया दावा तो
आप ज़रूर करोगे ।
सब वकील हैं यहाँ, केस
किस तरह लड़ोगे ॥
चाँद से लोन
वित्तमंत्री से
मिले, काका कवि अनजान ।
प्रश्न किया क्या
चाँद पर रहते हैं इंसान ॥
रहते हैं इंसान, मारकर
एक ठहाका ।
कहने लगे कि तुम
बिलकुल बुद्धू हो काका ॥
अगर वहाँ मानव
रहते, हम चुप रह जाते ।
अब तक सौ दो सौ
करोड़ कर्जा ले आते ॥
मोटी पत्नी
ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल
किसी किसी के
भाग्य में लिखी ठोस फुटबॉल
लिखी ठोस फुटबॉल, न करती घर का धन्धा
आठ बज रहे बिस्तर
पर ही पड़ा पुलन्दा
कह काका कविराय
खाय वह ठूसम ठूसा
यदि ऊपर गिर पड़े
बना दे पति का भूसा
भोलू तेली का
ब्याह
भोलू तेली गाँव
में, करै तेल की सेल
गली-गली फेरी करै, 'तेल
लेऊ जी तेल'
'तेल
लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोली
बिजुरी तड़कै अथवा
छूट रही हो गोली
कहँ काका कवि कछुक
दिना सन्नाटौ छायौ
एक साल तक तेली
नहीं गाँव में आयो
मिल्यौ अचानक एक
दिन, मरियल बा की चाल
काया ढीली पिलपिली, पिचके
दोऊ गाल
पिचके दोऊ गाल, गैल
में धक्का खावै
'तेल
लेऊ जी तेल', बकरिया सौ मिमियावै
पूछी हमने जे कहा
हाल है गयौ तेरौ
भोलू बोलो, काका
ब्याह है गयौ मेरौ
खटमल मच्छर युद्ध
'काका' वेटिंग
रूम में फँसे देहरादून
नींद न आई रात भर, मच्छर
चूसें खून
मच्छर चूसें खून, देह
घायल कर डाली
हमें उड़ा ले
ज़ाने की योजना बना ली
किंतु बच गए कैसे, यह
बतलाएँ तुमको
नीचे खटमल जी ने
पकड़ रखा था हमको
हुई विकट रस्साकशी, थके
नहीं रणधीर
ऊपर मच्छर खींचते
नीचे खटमल वीर
नीचे खटमल वीर, जान
संकट में आई
घिघियाए हम-
"जै जै जै हनुमान गुसाईं
पंजाबी सरदार एक
बोला चिल्लाके
त्व्हाणूँ पजन
करना होवे तो करो बाहर जाके
काका की रचनाओं को एकबार फिर पढवाने के लिए आभार नवीन जी !
जवाब देंहटाएंनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
नई पोस्ट नया वर्ष !
वाह, बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर कुण्डलियाँ ...
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