बात पूरी हो न पानी थी, लिहाज़ा टाल दी।
ज़िन्दगी फ़िलहाल मौक़े के मुताबिक़ ढाल दी॥
*
गर मिला मौक़ा तो हम फिर से करेंगे बातचीत।
ये न समझें बात हर दम के लिये ही टाल दी॥
*
ग़म हमें भी है तुम्हें शह-मात देने का, मगर।
तुमने भी तो पैदलों को ऊँट वाली चाल१ दी॥
*
हम तुम्हें लुक़मान२ समझे और तुम निकले रक़ीब३।
जो बढाये रोग - वह बूटी- दवा में डाल दी॥
*
मेहनती लोगों से मेहनत ही कराते हैं सभी।
रब ने भी तो चींटियों को रेंगने की चाल दी॥ ४
*
ज़िल्द ही से है क़िताबों की हिफ़ाज़त और निखार।
रब ने भी कुछ सोच कर ही हड्डियों को खाल दी॥
*
विश्व को रफ़्तार का तुहफ़ा दिया तकनीक ने।
एक धीमे ज़ह्र की पुडिया हवा में डाल दी॥
*
आप मानें या न मानें, लोग तो बतलायेंगे।
हर तरक्क़ी ने हमें बस सूरतेबदहाल दी॥
*
गिरता ही जाता है रुपया विश्व के बाज़ार में।
क्या इसी ख़ातिर तुम्हारे हाथ में टकसाल दी॥
*
नवीन सी• चतुर्वेदी
*
१ पैदल की चाल सीधी होती है। मगर जब यह तिरछा चलता है तो प्रतिस्पर्धी के मुहरे को मार गिराता है फिर वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। पैदल की तिरछी चाल बादशाह को प्याद भी देती है। शतरंज के जानकार इस बारे में और भी बहुत कुछ जानते हैं।
२ एक ऐसा हक़ीम जिस के पास हर रोग का उपचार था
३ प्रतिस्पर्धी, दुश्मन
४ ख़ून पीने वाले मच्छरों को उड़ने वाला और दिन भर परिश्रम करने वाली चींटियों को रेंगने वाला बनाया
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ज़िन्दगी फ़िलहाल मौक़े के मुताबिक़ ढाल दी॥
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गर मिला मौक़ा तो हम फिर से करेंगे बातचीत।
ये न समझें बात हर दम के लिये ही टाल दी॥
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ग़म हमें भी है तुम्हें शह-मात देने का, मगर।
तुमने भी तो पैदलों को ऊँट वाली चाल१ दी॥
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हम तुम्हें लुक़मान२ समझे और तुम निकले रक़ीब३।
जो बढाये रोग - वह बूटी- दवा में डाल दी॥
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मेहनती लोगों से मेहनत ही कराते हैं सभी।
रब ने भी तो चींटियों को रेंगने की चाल दी॥ ४
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ज़िल्द ही से है क़िताबों की हिफ़ाज़त और निखार।
रब ने भी कुछ सोच कर ही हड्डियों को खाल दी॥
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विश्व को रफ़्तार का तुहफ़ा दिया तकनीक ने।
एक धीमे ज़ह्र की पुडिया हवा में डाल दी॥
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आप मानें या न मानें, लोग तो बतलायेंगे।
हर तरक्क़ी ने हमें बस सूरतेबदहाल दी॥
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गिरता ही जाता है रुपया विश्व के बाज़ार में।
क्या इसी ख़ातिर तुम्हारे हाथ में टकसाल दी॥
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नवीन सी• चतुर्वेदी
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१ पैदल की चाल सीधी होती है। मगर जब यह तिरछा चलता है तो प्रतिस्पर्धी के मुहरे को मार गिराता है फिर वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। पैदल की तिरछी चाल बादशाह को प्याद भी देती है। शतरंज के जानकार इस बारे में और भी बहुत कुछ जानते हैं।
२ एक ऐसा हक़ीम जिस के पास हर रोग का उपचार था
३ प्रतिस्पर्धी, दुश्मन
४ ख़ून पीने वाले मच्छरों को उड़ने वाला और दिन भर परिश्रम करने वाली चींटियों को रेंगने वाला बनाया
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बहरे रमल मुसमन महजूफ
फाएलातुन फाएलातुन फाएलातुन फाएलुन
2122 2122 2122 212
फाएलातुन फाएलातुन फाएलातुन फाएलुन
2122 2122 2122 212
sirji line se padh raha hun apki saari posts..
ReplyDeletealag hi mood bana gaya hai..
sabhi qaatilaana
हाँ तुम्हें शह-मात देने का हमें अफ़सोस है
और जो तुमने पैदलों को ऊँट वाली चाल दी
bemisaal :)
bahut sundar gajal-maza aa gaya
ReplyDeleteआप मानें या न मानें, लोग तो बतलायेंगे
ReplyDeleteइस तरक्क़ी ने हमें बस सूरतेबदहाल दी
बहुत प्रासंगिक गजल है, साथ में खूबसूरत भी। बधाई