वो जो दिखता है तयशुदा जैसा
उस में ही ढूँढें कुछ नया जैसा
उस में ही ढूँढें कुछ नया जैसा
भीड़ में भी तलाश लूँगा उसे
उस का चेहरा है चंद्रमा जैसा
उस का चेहरा है चंद्रमा जैसा
कुछ नया रँग उभर ही आता है
चाहूँ कितना भी तयशुदा जैसा
क्यों नहीं खोलते दरीचों को
हमको लगता है दम-घुटा जैसा
हमको लगता है दम-घुटा जैसा
जुट गया होता काश जीते-जी
वक़्तेरुखसत हुजूम था जैसा
वक़्तेरुखसत हुजूम था जैसा
लिख मुहब्बत के बोल कागज़ पर
शेर बन जायेगा दुआ जैसा
दम निकलने पे भी न छोड़े साथ
कोई हमदम नहीं ख़ुदा जैसा
कोई हमदम नहीं ख़ुदा जैसा
हर समय हर जगह वो है मौजूद
उस का किरदार है हवा जैसा
उस का किरदार है हवा जैसा
इस के बिन प्यार भी है बेमानी
कोई ज़ज़्बा नहीं वफा जैसा
कोई ज़ज़्बा नहीं वफा जैसा
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मखबून
फाएलातुन मुफ़ाएलुन फालुन
2122
1212 22
बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसभी शेर बेहतरीन..
लिख मुहब्बत के बोल कागज़ पर
शेर बन जायेगा दुआ जैसा
दम निकलने पे भी न छोड़े साथ
कोई हमदम नहीं ख़ुदा जैसा
लाजवाब.
क्या बात है सर
जवाब देंहटाएंलिख मुहब्बत के बोल कागज़ पर
शेर बन जायेगा दुआ जैसा
जबरदस्त
क्या बात है सर
जवाब देंहटाएंलिख मुहब्बत के बोल कागज़ पर
शेर बन जायेगा दुआ जैसा
जबरदस्त
इस के बिन प्यार भी है बेमानी
जवाब देंहटाएंकोई ज़ज़्बा नहीं वफा जैसा ....
वाह ! सच है वफ़ा के बिना हर रिश्ता बेमानी है !
भाई साब बहुत ही अच्छी गज़ल है ये !
एक एक शेर बब्बर शेर है !!! आपको बधाई !!!
जुट गया होता काश जीते-जी
जवाब देंहटाएंवक़्तेरुखसत हुजूम था जैसा
.....बहुत खूब ! बेहतरीन गज़ल...हरेक शेर लाज़वाब...