सभी गुनाह कर के भी वो बेगुनाह बन गयी
अदालत उस के हक़ में ख़ुद-ब-ख़ुद गवाह बन गयी १
क़दम-क़दम पे मुश्किलें खड़ी हैं सीना तान कर
ये ज़िन्दगी तो आँसुओं की सैरगाह बन गयी २
अदालत उस के हक़ में ख़ुद-ब-ख़ुद गवाह बन गयी १
क़दम-क़दम पे मुश्किलें खड़ी हैं सीना तान कर
ये ज़िन्दगी तो आँसुओं की सैरगाह बन गयी २
हमारे हक़ में उस ने तो चमन उतारे थे मगर
हमारी भूख ही हमारी क़ब्रगाह बन गयी ३
क़लम की रोशनाई रोशनी को जिस पे नाज़ था
न जाने क्यूँ अँधेरों की पनाहगाह बन गयी ४
अदब की अज़मतों की इक मिसाल देखिये हुजूर
अदीब जिस पे चल पड़े वो शाहराह बन गयी ५
क़लम की रोशनाई रोशनी को जिस पे नाज़ था
न जाने क्यूँ अँधेरों की पनाहगाह बन गयी ४
अदब की अज़मतों की इक मिसाल देखिये हुजूर
अदीब जिस पे चल पड़े वो शाहराह बन गयी ५
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
बहरे हजज मुसम्मन मजबूज
मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन मुफ़ाएलुन
1212
1212 1212 1212
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें