ROSE |
बनाई है विधाता नें वसुंधरा बाक़ायदा
रीति-नीति-प्रीति, कन-कन में समाई है|
समाई है सम्वेदना, दान-प्रतिदान, मान,
आन-बान, ख़ान-पान प्रभुता बताई है|
बताई है पते की बात यै ही हर शास्त्र* नें
लाँघी मरज़ाद जानें, वानें हार पाई है|
पाई है बिना एफर्ट हमनें बतौर गिफ्ट
रब नें ग़ज़ब यार प्रकृति बनाई है||
बनाई है..............
ब्रजभाषा, हिन्दी, उर्दू और अँग्रेज़ी शब्दों के साथ अनुप्रास अलंकार से अलंकृत यह "सांगोपांग सिंहावलोकन" छंद है|रीति-नीति-प्रीति, कन-कन में समाई है|
समाई है सम्वेदना, दान-प्रतिदान, मान,
आन-बान, ख़ान-पान प्रभुता बताई है|
बताई है पते की बात यै ही हर शास्त्र* नें
लाँघी मरज़ाद जानें, वानें हार पाई है|
पाई है बिना एफर्ट हमनें बतौर गिफ्ट
रब नें ग़ज़ब यार प्रकृति बनाई है||
बनाई है..............
इस छंद में व्यक्त बातों से जुड़ी शंकाओं के समाधान हेतु गुलाब के फूल का चित्र है|
*one may consider this as a research based STUDY with logics
बहुत मनभावन...ब्रज भाषा का हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों के साथ अच्छा संयोजन. बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअरविंद भाई धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंकैलाश शर्मा जी भाषाई बंधनों से मुक्त हो कर लिखने का मज़ा ही अलग आता है| आपकी पारखी नज़र को सलाम|