किसी के नाम के आँसू बहा दिये गए क्या
तो क्या हमारा कोई मुंतज़िर नहीं है वहाँ
वो जो चराग थे सारे बुझा दिये गए क्या
उजाड़ सीने में ये साँय साँय आवाजें
जो दिल में रहते थे बिल्कुल भुला दिये गए क्या
हमारे बाद न आया कोई भी सहरा तक
तो नक्श-ए-पा भी हमारे मिटा दिये गए क्या
ये रात कैसे अचानक निखर निखर सी गयी
अब उस दरीचे से परदे हटा दिये गए क्या
:- मनोज अज़हर
मुफ़ाएलुन फ़एलातुन मुफ़ाएलुन फालुन
1212 1122 1212 22
बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
तो क्या हमारा कोई मुंतज़िर नहीं है वहाँ
वो जो चराग थे सारे बुझा दिये गए क्या
उजाड़ सीने में ये साँय साँय आवाजें
जो दिल में रहते थे बिल्कुल भुला दिये गए क्या
हमारे बाद न आया कोई भी सहरा तक
तो नक्श-ए-पा भी हमारे मिटा दिये गए क्या
ये रात कैसे अचानक निखर निखर सी गयी
अब उस दरीचे से परदे हटा दिये गए क्या
:- मनोज अज़हर
- azhar.manoj@gmail.com
मुफ़ाएलुन फ़एलातुन मुफ़ाएलुन फालुन
1212 1122 1212 22
बहरे मुजतस मुसमन मखबून महजूफ
शायद पहली बार पढ़ रहा हूँ आपको, गज़ब शेर कहे हैं भाई। बधाई।
जवाब देंहटाएंतिलक राज कपूर साहब ..बहुत शुक्रिया।
हटाएंवाह भाई वाह, हर एक शे’र शानदार। मनोज जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंधर्मेन्द्र भाई ... आपकी मुहब्बत है
हटाएंBahut Achche sher padhvaye aapne , Badhai!!!!
जवाब देंहटाएंShekhar chaturvedi sahab ... आपका शुक्रिया ।
हटाएंTILAK RAAJ SAHIB...utsaahwardhan ke liye bahut dhanyabaad !
जवाब देंहटाएंये रात कैसे अचानक निखर निखर सी गयी
जवाब देंहटाएंअब उस दरीचे से परदे हटा दिये गए क्या
वाह ...बहुत खूब।
बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना...
:-)
Reena Maurya जी ...शुक्रगुज़ार हूँ ।
हटाएंशानदार शेर , बधाई मनोज जी
जवाब देंहटाएंकुश्वंश जी ...बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत ही लाजवाब शेर ... जुदा अंदाज़ के शेर ...
जवाब देंहटाएंदिगम्बर नासवा साहब...बहुत शुक्रिया।
हटाएंहमारे बाद न आया कोई भी सहरा तक
जवाब देंहटाएंतो नक्श-ए-पा भी हमारे मिटा दिये गए क्या
मनोज जी एक सुंदर गज़ल ...मगर वज़न का ध्यान शायद नहीं दे पाये हर शेर में पहले मिसरे से दुसरे मिसरे में ज्यादा वजन लगता है
ये केवल लगता है मुझे कोई उस्ताद नहीं हूँ मैं आप एक बार देखिये
शुक्रिया !
Anand Dwivedi Sahab..
हटाएंआपको जैसा लगता है..दरअस्ल ऐसा है नहीं।
सभी मिसरे बराबर वज़्न में हैं।
आइन्दा कोई शुबा हो तो बराए-मेहरबानी साथ में तफ़सील ज़रूर दें ।
-- मनोज अज़हर ।
शानदार गजल... मनोज जी को हार्दिक बधाईयाँ...
जवाब देंहटाएंS.M.Hbib Sahab.. bahut shukriya.
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