हरदम ही देते रहें, ये या वो एक्स्क्यूज|
सज्जन वो, तुम जान लो, करते हैं कन्फ्यूज||
करते हैं कन्फ्यूज, पूजते दिखते जाहिर|
किंतु हमारी टाँग, खींचने में वो माहिर|
इतने बदलें रंग, कि शरमा जाए मौसम|
फिर भी ख़ासमखास, चहेते सबके हरदम||
सज्जन वो, तुम जान लो, करते हैं कन्फ्यूज||
करते हैं कन्फ्यूज, पूजते दिखते जाहिर|
किंतु हमारी टाँग, खींचने में वो माहिर|
इतने बदलें रंग, कि शरमा जाए मौसम|
फिर भी ख़ासमखास, चहेते सबके हरदम||
बहुत खूबसूरत कुण्डलियाँ हैँ नवीन भाई । बहुत बहुत बधाई ।
जवाब देंहटाएं" कुछ फूल पत्थर के भी हुआ करते है...........गजल "
सुन्दर कुण्डलियाँ !
जवाब देंहटाएंmazadaar hai !
जवाब देंहटाएंअशोक भाई, अरविंद भाई और संजय ग्रोवर भाई सराहना के लिए आभारी हूँ|
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