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नवगीत - लुप्त हों न पलाश

Palash


लुप्त हों न पलाश

बिन तुम्हारे होलिका त्यौहार
था इक कल्पना भर
हाट में बाक़ायदा
तुम स्थान पाते थे बराबर

अब कहाँ वो रंग
वो रंगीन भू-आकाश
लुप्त हों न पलाश



'मख-अगन' सा दृष्टिगोचर
है तुम्हारा यह कलेवर
पर तुम्हारे पात नर ने
वार डाले बीडियों पर


गाँव तो सब जानते हैं
नगर समझें काश
लुप्त हों न पलाश




शब्दों के अर्थ

हाट = बाजार
मख-अगन = हवन की अग्नि
कलेवर = शरीर
पात = पत्ते / पत्तियाँ