19 दिसंबर 2011

पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी - अदम गौंडवी

अदम गौंडवी
22 अक्तूबर 1947 - 18 दिसम्बर 2011
काल के गाल ने इस साल एक और माटी के लाल श्री राम नाथ सिंह उर्फ अदम गौंडवी जी को अपना शिकार बना लिया। ठाले-बैठे परिवार इस विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्तित्व को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। 22 अक्तूबर 1947 को आटा ग्राम, परसपुर, गोंडा, उत्तर प्रदेश में जन्मे, 'धरती की सतह पर' तथा ' समय से मुठभेड़' जैसी कृतियों के माध्यम से आम आदमी की बातों को बतियाते इस शायर ने अपने जीवन काल में ही जन-समुदाय के हृदय में अपना स्थान सुनिश्चित कर लिया था। इन के कुछ शेर :- 


एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए
चार छ: चमचे रहें माइक रहे माला रहे 
***
जनता के पास एक ही चारा है बग़ावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में 
***
अदीबों की नई पीढ़ी से मेरी ये गुज़ारिश है
सँजो कर रक्खें ‘धूमिल’ की विरासत को क़रीने से. 
 ***
कि अब मर्क़ज़ में रोटी है, मुहब्बत हाशिये पर है
उतर आई ग़ज़ल इस दौर में कोठी के ज़ीने से
***
शहर के दंगों में जब भी मुफ़लिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंज़र सलौना हो गया
 ***
 'अब किसी लैला को भी इक़रारे-महबूबी नहीं'
इस अहद में प्यार का सिम्बल तिकोना हो गया.
 ***
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद में किसको फ़ुरसत है पढ़े दिल की क़िताब 
***
जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में
गाँव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में 
 ***
जो ग़ज़ल माशूक़ के जल्वों से वाक़िफ़ हो गयी
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो

20 टिप्‍पणियां:

  1. "यक्ष प्रश्नों में उलझ कर रह गई बूढी सदी
    यह प्रतीक्षा की घडी है क्या हमारी प्यास की
    इस व्यवस्था ने युवा पीढ़ी को आखिरी क्या दिया
    सेक्स की रंगीनियाँ या गोलियाँ सल्फास की"

    ऐसी बेबाक शायरी करने वाले जमीन से जुड़े "गोंडवी साब" को भावभीनी श्रद्धांजली !!!!!

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  2. विनम्र श्रद्धांजलि....

    खूबसूरत शे'र पढवाने के लिए आभार !

    मेरी नई रचना "तुम्हे भी याद सताती होगी"

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  3. बेबाक शायर को सादर विनम्र श्रद्धांजली....

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  4. उनकी प्रासंगिकता और पाठक//श्रोता वर्गपर उनके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता -- अदम साहब एक अहम नाम थे गज़ल में और ग़ज़ल में एक अहम नाम होना मामूली बात नहीं !! इस परिवार कीओर से -श्रद्धांजलि

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  5. JAN KAVI ADAM GONDVI KO BHAAVBHEENI
    SHRADDHAANJLI .

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  6. गोंडवी साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।

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  7. बेबाक शायर को सादर विनम्र श्रद्धांजली....

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  8. गोंडवी साहब को भावभीनी श्रधान्जली.

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  9. महान शायर को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि.....

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  10. अदम साहब को विनम्र श्रद्धांजलि।
    उनकी उम्दा शायरी हमारी विरासत है।

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  11. ऐसी पुण्य आत्मा के महाप्रयाण पर हमारे प्रणाम पुष्पांजलि .

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  12. अदम साहब के शेरों की सच्चाई सर्दी में भी पसीना ले आती है माथे पे ...
    श्रधांजलि है माटी के इस लाल को ...

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  13. जब दो मिनट की पूजा में घंटों गुजार दें |
    समझो कोई गरीब फंसा है शिकार में |
    =========================
    काजू भुनी प्लेट में ह्विस्की गिलास में |
    उतरा है रामराज विधायक निवास में |
    ==========================
    खुदी सुकरात की हो या रूदाद गाँधी की
    सदाकत जिंदगी के मोर्चे पर हार जाती है |
    फटे कपड़ों में तन ढांके गुजरता हो जहां कोई
    समझ लेना वो पगडण्डी अदम के गाँव जाती है |

    ................गाँव और गरीब की वेदनाओं की संवाहक हैं अदम जी की कवितायें | हमारे क्षेत्र के ही , बड़े भाई अदम जी का सरल-सहज व्यक्तित्व और ज्वालामुखी सी शायरी उन्हें सबसे अलग खड़ा करती है |
    उनका दो के अलावा एक और संग्रह 'गर्म रोटी की महक' भी प्रकाशित हुआ है |
    विनम्र श्रद्धांजलि ऐसे सशक्त रचनाकार को ...

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  14. बातें ऊपर से तो अनगढ़-सी, सीधी-सादी लेकिन अंदर ज्वलामुखी का ताब पूरे रुआब से खौलता हुआ ! खरी-खरी बातों के नाम पर सपाटबयानी और गाली-गलौज के इस काल में अदम अपनी तेज़ाबी कहन को लिये एक उदाहरण थे.

    अदम को अग़र सुनो तो अव्वल समझो और अपनाओ. अन्यथा तुम्हारा अभिजात्य सारी विड़ंबनाओं की जड़ है. जिसके खिलाफ़ अदम के अश’आर मुखर थे, बेलाग थे.

    हृदय से नमन.

    -सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)

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  15. अदम जी के जाने से मन बहुत आहत है, ग़ज़ल को नया मुहावरा और नया साँचा देने वाले इस शख्स के जाने से बहुत क्षति हुई है, श्रद्धाँजलि के सिवा हम इस हस्ती को दे भी क्या सकते हैं। अपने परिवार का सदस्य फिर चला गया।

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