भारत में किरकेट का, सदा महत्व महान|
सब चाहें नर-नारियाँ, बूढ़े-बालक-ज्वान||
बूढ़े-बालक-ज्वान, सराहत, मेच निहारत|
शॉट लगावत, गुल्लि उड़ावत, जान निसारत|
आदि नवागत, बात बतावत, रखें महारत|
शर्त लगावत, मौज मनावत, पल छिन भारत||
अमृत ध्वनि छन्द
छन्द विधान
[१] कुल छह पंक्तियों वाला छन्द
[२] पहली दो पंक्तियाँ दोहे की, दोहा विधान के अनुसार, दूसरी पंक्ति में आने वाला दोहा का चौथा चरण, तीसरी पंक्ति के शुरू में आता है
[३] तीसरी से छठी हर पंक्ति २४ मात्रा वाली
[४] तीसरी से छठी हर पंक्ति ८-८ मात्रा के तीन भागों में विभक्त
[५] तीसरी से छठी पंक्ति के ८ मात्रा वाले हर भाग की ८ वीं मात्रा पर लघु वर्ण के साथ यति| हालाँकि इस विषय में हमारे अग्रज आदरणीय आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी का मानना है कि ऐसा कोई विधान नहीं कि यति लघु वर्ण के साथ ही हो| आज की समस्या पूर्ति मंच की पोस्ट में उन्होने एक उदाहरण भी दिया है| परंतु ८-८ मात्रा वाले तीन टुकड़े ज़रूर रखे जाने चाहिए| तभी तो अमृत ध्वनि छन्द का आभास होगा, नहीं तो ये भी कुण्डलिया छन्द हो जाएगा [११+१३ मात्रा और ११ वीं मात्रा पर लघु अक्षर की यति के साथ]|
[६] कुंडलिया छन्द की तरह इस छन्द के शुरू और आख़िर में समान शब्द अपेक्षित
अब उदाहरण, ऊपर दिए गये अमृत ध्वनि छन्द के आधार पर:-
भारत में किरकेट का
२११ २ ११२१ २ = १३ मात्रा, अंत में लघु गुरु
सदा महत्व महान
१२ १२१ १२१ = ११ मात्रा, अंत में गुरु लघु,
सब चाहें नर-नारियाँ,
११ २२ ११ २१२ = १३ मात्रा, अंत में लघु गुरु
बूढ़े-बालक-ज्वान
२२ २११ २१ = ११ मात्रा, अंत में गुरु लघु, ज्वान में आधे 'ज' अक्षर के बोलते समय 'वा' में सम्मिलित होने के कारण अतिरिक्त मात्रा नहीं
शॉट लगावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
गुल्लि उड़ावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
जान निसारत
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
आदि नवागत, [नयी पुरानी बातें]
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
बात बतावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
रखें महारत
१२ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
शर्त लगावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
मौज मनावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
पल छिन भारत
११ ११ २११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
सब चाहें नर-नारियाँ, बूढ़े-बालक-ज्वान||
बूढ़े-बालक-ज्वान, सराहत, मेच निहारत|
शॉट लगावत, गुल्लि उड़ावत, जान निसारत|
आदि नवागत, बात बतावत, रखें महारत|
शर्त लगावत, मौज मनावत, पल छिन भारत||
अमृत ध्वनि छन्द
छन्द विधान
[१] कुल छह पंक्तियों वाला छन्द
[२] पहली दो पंक्तियाँ दोहे की, दोहा विधान के अनुसार, दूसरी पंक्ति में आने वाला दोहा का चौथा चरण, तीसरी पंक्ति के शुरू में आता है
[३] तीसरी से छठी हर पंक्ति २४ मात्रा वाली
[४] तीसरी से छठी हर पंक्ति ८-८ मात्रा के तीन भागों में विभक्त
[५] तीसरी से छठी पंक्ति के ८ मात्रा वाले हर भाग की ८ वीं मात्रा पर लघु वर्ण के साथ यति| हालाँकि इस विषय में हमारे अग्रज आदरणीय आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी का मानना है कि ऐसा कोई विधान नहीं कि यति लघु वर्ण के साथ ही हो| आज की समस्या पूर्ति मंच की पोस्ट में उन्होने एक उदाहरण भी दिया है| परंतु ८-८ मात्रा वाले तीन टुकड़े ज़रूर रखे जाने चाहिए| तभी तो अमृत ध्वनि छन्द का आभास होगा, नहीं तो ये भी कुण्डलिया छन्द हो जाएगा [११+१३ मात्रा और ११ वीं मात्रा पर लघु अक्षर की यति के साथ]|
[६] कुंडलिया छन्द की तरह इस छन्द के शुरू और आख़िर में समान शब्द अपेक्षित
अब उदाहरण, ऊपर दिए गये अमृत ध्वनि छन्द के आधार पर:-
भारत में किरकेट का
२११ २ ११२१ २ = १३ मात्रा, अंत में लघु गुरु
सदा महत्व महान
१२ १२१ १२१ = ११ मात्रा, अंत में गुरु लघु,
सब चाहें नर-नारियाँ,
११ २२ ११ २१२ = १३ मात्रा, अंत में लघु गुरु
बूढ़े-बालक-ज्वान
२२ २११ २१ = ११ मात्रा, अंत में गुरु लघु, ज्वान में आधे 'ज' अक्षर के बोलते समय 'वा' में सम्मिलित होने के कारण अतिरिक्त मात्रा नहीं
अमृत ध्वनि वाला हिस्सा सही में यहाँ से शुरू होता है| देखिये, दोहे के चौथे चरण की ११ मात्राओं को कैसे ८ + ३ [ = ११ ] मात्रा के दो भागों में पहले से ही विभक्त कर के रखा गया है|
बूढ़े-बालक-
२२ २११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
ज्वान, सराहत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
मेच निहारत
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
२२ २११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
ज्वान, सराहत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
मेच निहारत
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
शॉट लगावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
गुल्लि उड़ावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
जान निसारत
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
आदि नवागत, [नयी पुरानी बातें]
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
बात बतावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
रखें महारत
१२ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
शर्त लगावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
मौज मनावत,
२१ १२११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
पल छिन भारत
११ ११ २११ = ८ मात्रा, अंत में लघु
गुरु मुख से प्राप्त ज्ञान आप सभी के साथ साझा किया है| यदि इस ज्ञान में आप लोग अभिवृद्धि कर सकें, तो मेरा सौभाग्य होगा|
You did a nice job. Congrats.
जवाब देंहटाएंकविता की क्रिकेटीय शिक्षा।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राजीव भाई, प्रवीण भाई
जवाब देंहटाएंकल 08/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
कविता बहुत अच्छी थी , मगर एक्सप्लनेशन ने दिमाग़ की बत्ती बुझा दी | इतना deep knowledge झेलने की ताक़त कम से कम अपने भेजे मे तो नही है|
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