सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
कुण्डलिया छंद पर आयोजित तीसरी समस्या पूर्ति के तीसरे चक्र में प्रवेश कर रहे हैं हम| पिछले चक्र में हमने पढ़ा था दो नौजवान कवियों को, और आज हम पढने जा रहे हैं एक वरिष्ठ रचनाधर्मी को|
'तजुर्बे का पर्याय नहीं' कहावत को चरितार्थ करने वाले ये अग्रज साहित्य के लिए समर्पित हैं तथा साहित्य में आंचलिक शब्दों की जोरदारी से वकालत भी करते हैं| पिछले साल अंतरजाल पर आने के बाद के दिनों में इन के द्वारा कई जानकारियाँ हासिल हुई हैं इन पक्तियों के लेखक को, जिसके लिए आभार कहना अपर्याप्त होगा|
तो आइये पढ़ते हैं इन के द्वारा भेजे गए कुण्डलिया छन्दों को:-
'तजुर्बे का पर्याय नहीं' कहावत को चरितार्थ करने वाले ये अग्रज साहित्य के लिए समर्पित हैं तथा साहित्य में आंचलिक शब्दों की जोरदारी से वकालत भी करते हैं| पिछले साल अंतरजाल पर आने के बाद के दिनों में इन के द्वारा कई जानकारियाँ हासिल हुई हैं इन पक्तियों के लेखक को, जिसके लिए आभार कहना अपर्याप्त होगा|
तो आइये पढ़ते हैं इन के द्वारा भेजे गए कुण्डलिया छन्दों को:-
अपना लोहा मानती, दुनिया सारी शेष||
दुनिया सारी शेष, करे इज्जत अफजाई|
नासा तक में यार, देश की धाक जमाई|
जग को किए प्रदान, ट्रबल के माहिर शूटर|
बेफिक्री से ताकि, चलें सारे कंप्यूटर||
[इण्डिया दा जवाब नहीं भइये, शक हो तो बिल गेट्स से पूछ कर देख लो]
[२]
सुन्दरियाँ जो आज की, करें प्रदर्शित अंग|
लोक लाज को भूल कर, कपडे पहनें तंग||
कपडे पहने तंग, देख कर लज्जा आए|
उन्नति ना ये, यार, इन्हें कोई समझाए|
लाज शर्म को भूल, अगर हो बैठी *उरियाँ|
देंगी सिर्फ़ कलंक, देश को ये सुंदरियाँ||
[* उरियाँ = निर्वस्त्र, क्या ठेठ पंजाबी लहजा है]
[३]
सुन्दरियाँ इस दौर की, हाँकें वायूयान|
देश कौम का विश्व में, ऊँचा करती मान||
ऊँचा करती मान, हरिक खित्ते में छाईं|
पूरा है विश्वास, पुरुष-साथी की नाईं|
अंदर से हैं आग, और बाहर फुलझरियाँ|
सीमा पर हथियार, चलातीं ये सुन्दरियाँ||
[सुन्दरियाँ अच्छे काम भी करती हैं, भाई मानना पड़ेगा| ये बातें कह कर आप ने सिक्के के सकारात्मक पहलू पर भी ध्यान खींचा है| और 'खित्ते' भी क्या शब्द ढूंढा है मालिक]
[४]
भारत सारे विश्व में, हीरा कोहेनूर|
कीरत अपने देश की, दुनिया में मशहूर||
दुनिया में मशहूर, राम लीला औ गीता|
मर्यादा पुरषोत्तम, लक्ष्मण जी, माँ सीता|
रहती दुनिया तलक, हमेशा रहे सलामत|
अमन चैन का दूत, देश ये अपना भारत||
[वाह क्या देश भक्ति है, अमन चैन का दूत........भाई इस पंक्ति को तो सेल्यूट मारना पड़ेगा]
[५]
कंप्यूटर भार्या-सखा, कंप्यूटर पित-मात|
युवा वर्ग को ये मिली, सुन्दर सी सौगात||
सुन्दर सी सौगात, नज़र हटने ना पावे|
भोजन बिन रह जाय, रहा इस बिन ना जावे|
मिले न पोकिट खर्च, भले बाईक, स्कूटर|
सर्वप्रथम दरकार, सभी को ही कंप्यूटर||
[सही कह रहे हैं योगराज जी, यही कहानी है आज घर घर की]
:- योगराज प्रभाकर
दुनिया सारी शेष, करे इज्जत अफजाई|
नासा तक में यार, देश की धाक जमाई|
जग को किए प्रदान, ट्रबल के माहिर शूटर|
बेफिक्री से ताकि, चलें सारे कंप्यूटर||
[इण्डिया दा जवाब नहीं भइये, शक हो तो बिल गेट्स से पूछ कर देख लो]
[२]
सुन्दरियाँ जो आज की, करें प्रदर्शित अंग|
लोक लाज को भूल कर, कपडे पहनें तंग||
कपडे पहने तंग, देख कर लज्जा आए|
उन्नति ना ये, यार, इन्हें कोई समझाए|
लाज शर्म को भूल, अगर हो बैठी *उरियाँ|
देंगी सिर्फ़ कलंक, देश को ये सुंदरियाँ||
[* उरियाँ = निर्वस्त्र, क्या ठेठ पंजाबी लहजा है]
[३]
सुन्दरियाँ इस दौर की, हाँकें वायूयान|
देश कौम का विश्व में, ऊँचा करती मान||
ऊँचा करती मान, हरिक खित्ते में छाईं|
पूरा है विश्वास, पुरुष-साथी की नाईं|
अंदर से हैं आग, और बाहर फुलझरियाँ|
सीमा पर हथियार, चलातीं ये सुन्दरियाँ||
[सुन्दरियाँ अच्छे काम भी करती हैं, भाई मानना पड़ेगा| ये बातें कह कर आप ने सिक्के के सकारात्मक पहलू पर भी ध्यान खींचा है| और 'खित्ते' भी क्या शब्द ढूंढा है मालिक]
[४]
भारत सारे विश्व में, हीरा कोहेनूर|
कीरत अपने देश की, दुनिया में मशहूर||
दुनिया में मशहूर, राम लीला औ गीता|
मर्यादा पुरषोत्तम, लक्ष्मण जी, माँ सीता|
रहती दुनिया तलक, हमेशा रहे सलामत|
अमन चैन का दूत, देश ये अपना भारत||
[वाह क्या देश भक्ति है, अमन चैन का दूत........भाई इस पंक्ति को तो सेल्यूट मारना पड़ेगा]
[५]
कंप्यूटर भार्या-सखा, कंप्यूटर पित-मात|
युवा वर्ग को ये मिली, सुन्दर सी सौगात||
सुन्दर सी सौगात, नज़र हटने ना पावे|
भोजन बिन रह जाय, रहा इस बिन ना जावे|
मिले न पोकिट खर्च, भले बाईक, स्कूटर|
सर्वप्रथम दरकार, सभी को ही कंप्यूटर||
[सही कह रहे हैं योगराज जी, यही कहानी है आज घर घर की]
:- योगराज प्रभाकर
'कंप्यूटर' शब्द पर दो, 'सुन्दरियाँ' शब्द पर दो और 'भारत' शब्द पर एक इस तरह इन कुल 'पांच' कुण्डलियों पर आप लोग अपनी-अपनी राय जाहिर कीजिये तब तक हम तयारी करते हैं अगली पोस्ट की|
इस बार नए प्रस्तुतिकर्त्ताओं का तांता लगा हुआ है पर साथ ही पुराने प्रस्तुतिकर्त्ताओं में से कई सारे शायद किसी काम में व्यस्त हैं| कुछ रचनाधर्मियों की जिन रचनाओं पर सुधार की प्रार्थना की गयी है, उन की भी प्रतीक्षा है| आप सभी के सहयोग से यह आयोजन नए प्रतिमान गढ़ रहा है| आप सभी के सहयोग के लिए पुन: सविनय निवेदन करते हैं हम|
जो व्यक्ति यहाँ पहली बार पधारे हैं, उन के लिए घोषणा तथा कुण्डलिया छन्द सम्बंधित लिंक एक बार फिर से :-
कुंडली उर्फ कुण्डलिया छन्द - समस्या पूर्ति की घोषणा
कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित
बहुत बढ़िया कुण्डलियाँ ! पारंपरिक काव्य ज्ञान बढ़ रहा है हमारा
जवाब देंहटाएंकुण्डलियाँ बहुत अच्छी लगीं
जवाब देंहटाएंदमदार कुंडलियों के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह भाई वाह। पॉंच कुण्डलियों का पिटारा एक साथ।
जवाब देंहटाएंकाव्यशास्त्रीय नियमों पर आधारित इस श्रृंखला के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ..कुंडलिया छन्द पर आधारित समस्या पर लिखी गयीं कुंडलियाँ उत्कृष्ट हैं ...!
जवाब देंहटाएंनवीन जी आजकल इतनी व्यस्त हूँ कि कुन्डलियाँ सीखने का भी समय नही मिला
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लगी कुन्डलियाँ। धन्यवाद। सभी पोस्ट्स सहेज ली हैं समय मिलते ही प्रयास करती हूँ।
सभी कुण्डलियाँ बहुत बढ़िया हैं!
जवाब देंहटाएंहम तो योगराज जी की कुंडलियों के भी प्रशंसक बन गए आज से। बहुत सुंदर, हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंKUNDLIYAN ACHCHHEE LAGEE HAIN . BADHAAEE .
जवाब देंहटाएंअच्छी कुण्डलियाँ है.
जवाब देंहटाएंise khte hain ek taraashee hui lekhnee. wah bhai, laajvaab. ek se badhkar ek.
जवाब देंहटाएंBadhayi sweekar karen bhai Yograj ji..in tamam behatreen kundaliyon ke liye..deshbhakti aur apne desh ki vishw me shreshthata ka ek saath pradarshan aapki kavya-praudhta ka uttam udahran hai...aapki lekhani ko naman
जवाब देंहटाएंYograj Ji,
जवाब देंहटाएंBehtarin kundaliyon ke liye badhai!
Vishayvastu gazab ki hai !
Ham sikh rahe hain!
आदरणीय अरुण चन्द्र रॉय जी, संजय भास्कर जी, तिलक राज कपूर जी, केवल राम जी, निर्मला कपिला जी, डॉ रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी, धर्मन्द्र कुमार सिंह "सज्जन" जी, प्राण शर्मा जी, कुमार कुसुमेश जी, शेषधर तिवारी जी, डॉ ब्रजेश त्रिपाठी जी ! आपके उत्साहवर्धन का तह-ए-दिल से शुक्रिया ! कुंडलिया छंद से मेरी जान पहचान करवाने और मेरी अधकचरी कुंडलियों को पठन योग्य बनाने में भाई नवीन चतुर्वेदी जी का ही हाथ है, जीने लिए मैं सदैव उनका ऋणी रहूँगा ! अत: इस सारी प्रशंसा के असली हक़दार वे ही हैं !
जवाब देंहटाएंशेखर भाई - इसका सारा श्रेय भाई नवीन चतुर्वेदी जी को ही जाता है जिन्होंने इस छंद और उसके शिल्प से मेरा परिचय करवाया !
जवाब देंहटाएंयोगराज भाई ये आप का बड़प्पन है
जवाब देंहटाएंयोगराज जी को उत्कृष्ट कुंडलियों के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंआदरणीय महेंद्र वर्मा जी - उत्साहवर्धन का ह्रदय से आभार !
जवाब देंहटाएंअभी तक प्रकाशित सभी कुण्डलिनी रचनाएँ पढ़ीं. नवीन जी और रचनाकारों को बधाई.
जवाब देंहटाएंमर्यादा पुरषोत्तम, लक्ष्मण जी, माँ सीता|
पुरुषों में उत्तम पुरुषोत्तम, 'र' में छोटे 'उ' की मात्रा आवश्यक है... शायद टंकण त्रुटि हो.