द्वंद-द्वेष-दुख दुराचार हैं
भाँति भाँति के हहाकार हैं
आज के यही समाचार हैं
वोट दे रहे औ ठगा रहे
टेक्स भर रहे, कष्ट पा रहे
लीडरान से मात खा रहे
यूँ लगे कि ज्यूँ गुन्हागार हैं
आज के यही समाचार हैं
रौबदार सब कोट-टाइयाँ
लोकतंत्र की दे दुहाइयाँ
गल्फ़ में लड़ाते लड़ाइयाँ
निम्न, तेल से, रक्त-धार हैं
आज के यही समाचार हैं
डिग्रियाँ बनीं फाँस कंठ की
आज सब सुनें बात संठ की
लुप्त हो रही जाति लंठ की
सुप्तप्राय से सरोकार हैं
आज के यही समाचार हैं
बस अब यही समाचार हैं।
जवाब देंहटाएंयही समाचार हैं बस
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंप्रवीण भाई, अरुण भाई, मनोज भाई शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअति उत्तम ,अति सुन्दर और ज्ञान वर्धक है आपका ब्लाग
जवाब देंहटाएंबस कमी यही रह गई की आप का ब्लॉग पे मैं पहले क्यों नहीं आया अपने बहुत सार्धक पोस्ट की है इस के लिए अप्प धन्यवाद् के अधिकारी है
और ह़ा आपसे अनुरोध है की कभी हमारे जेसे ब्लागेर को भी अपने मतों और अपने विचारो से अवगत करवाए और आप मेरे ब्लाग के लिए अपना कीमती वक़त निकले
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
aap bahut achchha geet likhte hain aapko hamesha padha hai (navgeet anubhuti me )
जवाब देंहटाएंmene aapki kahi baton ka dhyan bhi rakhne ki koshishs ki hai .
aapka bahut bahut dhnyavad
saader
rachana