आठ आठ तीन बार, और सात एक बार,
इकतीस अक्षरों का योग है घनाक्षरी ।
सोलह-पंद्रह पर, यति का विधान मान,
मंगल-करण, शुभ-योग है घनाक्षरी ।
अन्तिम अक्षर सदा, दीर्घ रखिये 'नवीन',
कविता जोगनिया का, जोग है घनाक्षरी ।
शायद ही कोई कवि, इसको न जानता हो,
छंदों में तो जैसे राज-भोग है घनाक्षरी ।।
********
अक्षरों / वर्णों की गणना :-
आठ आठ तीन बार,
११ ११ ११ ११ = ८
और सात एक बार,
११ ११ ११ ११ = ८
इकतीस अक्षरों का
११११ १११ १ = ८
योग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
सोलह-पंद्रह पर,
१११ १११ ११ = ८
यति का विधान मान
११ १ १११ ११ = ८
मंगल करण शुभ
१११ १११ ११ = ८
योग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
अन्तिम अक्षर सदा
१११ १११ ११ = ८
दीर्घ रखिए नवीन
११ १११ १११ = ८
कविता जोगनिया का
१११ ११११ १ = ८
जोग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
शायद ही कोई कवि
१११ १ ११ ११ = ८
इसको न जानता हो
१११ १ १११ १ = ८
छंदों में तो जैसे राज-
११ १ १ ११ ११ = ८
भोग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
गहरी समझ रखने वाले इस विधा में कमाल करते होंगे ... इस ज्ञान वृधि का शुक्रिया नवीन जी ...
जवाब देंहटाएंघनाक्षरी छंद पर इस बहुमूल्य शिक्षाप्रद पाठ के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंहिंदी के पुराने छंदो को आप पुनर्जीवित कर रहे हैं नवीन भाई, आपका यह प्रयास हिंदी साहित्य के अंतर्जाल युग में एक मील का पत्थर साबित होगा।
जवाब देंहटाएंवाह!!! बहुत उम्दा ज्ञान मिला..कोशिश तो जरुर करेंगे फिर भले ही जैसी भी हो.
जवाब देंहटाएंright hand se kuch kar nahin pa rahi. theek hote hi upasthit hoti hoon .left se adhik kam nahin hota.
जवाब देंहटाएंसराहनीय कार्य है चतुर्वेदी जी !
जवाब देंहटाएंप्रतीक्षा है ...
sadhuwad...naveen ji pigal shastra ki atyant kathin vidha ko saral dhang samjhane ke liye
जवाब देंहटाएंis amoolya sewa ke liye aapka nam sahitya ke aakash me sada hi chamkta rahega ....
घनाक्षरी छन्द का एक और उदाहरण देखने के लिए यहाँ पधारें [गौना भला शीत का] http://thalebaithe.blogspot.com/2011/05/blog-post_19.html
जवाब देंहटाएंआपकी कक्षा में पहली बार आना हुआ है, अब उपस्थिति अनिवार्य रहेगी, बेनागा।
जवाब देंहटाएंइस छन्द को ८-८-८-८ / ८-८-८-८-७ के मापदण्ड पर पूरी तरह नहीं उतारा गया है। छन्द जब पूरी तरह ८-८-८-८ / ८-८-८-८-७ के अनुरूप उतरता है तो अलग ही आनन्द आता है। बहुधा गेयता को प्रधानता मिल जाती है।
जवाब देंहटाएं