17 मई 2011

छंदों में तो जैसे राजभोग है घनाक्षरी

सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन

आप सभी के सहयोग से कुण्डलिया छन्द पर आधारित तीसरी समस्या पूर्ति ने नई मंजिलें तय कीं| कई पुराने रचनाकार व्यस्तता की वजह से शिरकत नहीं कर पाए तो अनेक नए सदस्यों ने आयोजन की गरिमा को बढाने में बढ़ चढ़ कर अपना अमूल्य योगदान दिया|

अब बारी है अगले छन्द के बारे में बात करने की| अब तक हमने जिन छन्दों [चौपाई, दोहा, रोला और कुण्डलिया] पर काम किया वो सभी के सभी मात्रिक छन्द थे| इस बार सोच रहे हैं कि वर्णिक छन्द पर काम किया जाये| सब से ज्यादा मशहूर छन्द है 'घनाक्षरी छन्द'|

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वर्णविधान को प्रमुखता देते हुये नीचे दिये छन्द में सुधार किया है। वरन-गणना के लिये नीचे दिये हुये (पुराने)  छन्द से सन्दर्भ लिया जा सकता है। नया काम:-


आठ आठ तीन बार,
और सात एक बार,
इकतीस अक्षरों का
योग है घनाक्षरी|

सोलह-पंद्रह पर,
यति का विधान मान,
मंगल-करण, शुभ-
योग है घनाक्षरी|

अन्तिम अक्षर सदा,
दीर्घ रखिये 'नवीन',
कविता जोगनिया का,
जोग है घनाक्षरी|

शायद ही कोई कवि,
इसको न जानता हो,
छंदों में तो जैसे राज-
भोग है घनाक्षरी||

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इस छन्द का एक उदाहरण :-

आठ आठ तीन बार, और सात एक बार,
इकतीस अक्षरों का योग है घनाक्षरी|
सोलह-पंद्रह पर, यति का विधान मान
शान जो बढाए वो सु-योग है घनाक्षरी|
वर्ण इकतीसवां सदा ही दीर्घ लीजिएगा
काव्य का सुहावना प्रयोग है घनाक्षरी|
आदि काल से लिखा है लगभग सब ने ही
छंदों में तो जैसे राजभोग है घनाक्षरी||


अक्षरों / वर्णों की गणना :-

आठ आठ तीन बार,
११ ११ ११ ११ = ८
और सात एक बार,
११ ११ ११ ११ = ८
इकतीस अक्षरों का
११११ १११ १ = ८
योग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
सोलह-पंद्रह पर,
१११ १११ ११ = ८
यति का विधान मान
११ १ १११ ११ = ८
शान जो बढाए वो सु-
११ १ १११ १ १ = ८
योग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
वर्ण इकतीसवां स-
११ १११११ १ = ८
-दा ही दीर्घ लीजिएगा
१ १ ११ ११११ = ८
काव्य का सुहावना प्र-
११ १ ११११ १ = ८
योग है घनाक्षरी|
११ १ ११११ = ७
आदि काल से लिखा है
११ ११ १ ११ १ = ८
लगभग सब ने ही
११११ ११ १ १ = ८
छंदों में तो जैसे राज-
११ १ १ ११ ११ = ८
भोग है घनाक्षरी|
a११ १ n११११ = ७

उचित समय पर इस समस्या पूर्ति की पंक्ति भी घोषित की जाएगी| तब तक नए रचनाकार [मेरा मतलब जिन्होंने पहले कभी घनाक्षरी नहीं लिखा] कलम आजमाइश करना शुरू कर सकते हैं|

नए पुराने सभी साथियों से फिर से विनम्र निवेदन है कि साहित्य की सेवा स्वरूप शुरू किये गए इस आयोजन में अपनी उपस्थिति को अनिवार्य मानें|

आप की अमूल्य राय की भी प्रतीक्षा रहेगी|

जय माँ शारदे ...............

10 टिप्‍पणियां:

  1. गहरी समझ रखने वाले इस विधा में कमाल करते होंगे ... इस ज्ञान वृधि का शुक्रिया नवीन जी ...

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  2. घनाक्षरी छंद पर इस बहुमूल्य शिक्षाप्रद पाठ के लिए आभार!!

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  3. हिंदी के पुराने छंदो को आप पुनर्जीवित कर रहे हैं नवीन भाई, आपका यह प्रयास हिंदी साहित्य के अंतर्जाल युग में एक मील का पत्थर साबित होगा।

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  4. वाह!!! बहुत उम्दा ज्ञान मिला..कोशिश तो जरुर करेंगे फिर भले ही जैसी भी हो.

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  5. right hand se kuch kar nahin pa rahi. theek hote hi upasthit hoti hoon .left se adhik kam nahin hota.

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  6. सराहनीय कार्य है चतुर्वेदी जी !
    प्रतीक्षा है ...

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  7. sadhuwad...naveen ji pigal shastra ki atyant kathin vidha ko saral dhang samjhane ke liye
    is amoolya sewa ke liye aapka nam sahitya ke aakash me sada hi chamkta rahega ....

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  8. घनाक्षरी छन्द का एक और उदाहरण देखने के लिए यहाँ पधारें [गौना भला शीत का] http://thalebaithe.blogspot.com/2011/05/blog-post_19.html

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  9. आपकी कक्षा में पहली बार आना हुआ है, अब उपस्थिति अनिवार्य रहेगी, बेनागा।

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  10. इस छन्द को ८-८-८-८ / ८-८-८-८-७ के मापदण्ड पर पूरी तरह नहीं उतारा गया है। छन्द जब पूरी तरह ८-८-८-८ / ८-८-८-८-७ के अनुरूप उतरता है तो अलग ही आनन्द आता है। बहुधा गेयता को प्रधानता मिल जाती है।

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