पहले से ही था क्षोभ ग्रस्त
अत्याचारों से हुआ त्रस्त
जब आम आदमी हुआ व्यस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
अत्याचारों से हुआ त्रस्त
जब आम आदमी हुआ व्यस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
जब हुआ क्रान्ति का पथ प्रशस्त
मतभेद हुए सारे निरस्त
घातक मनसूबे हुए ध्वस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
मतभेद हुए सारे निरस्त
घातक मनसूबे हुए ध्वस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
जुङ गये वीर बांके समस्त
घर घर से होने लगी गश्त
चुन चुन मारे फिरका परस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
घर घर से होने लगी गश्त
चुन चुन मारे फिरका परस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
सब चेहरे दिखने लगे मस्त
परचम लहराने लगे हस्त
जब अंग्रेजों को दी शिकस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
परचम लहराने लगे हस्त
जब अंग्रेजों को दी शिकस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
है प्रगतिशील हर एक दस्त
है हिन्द विश्व से फिर बवस्त
हैं नीति हमारी सुविश्वस्त
बस याद रहे पन्द्रह अगस्त
है हिन्द विश्व से फिर बवस्त
हैं नीति हमारी सुविश्वस्त
बस याद रहे पन्द्रह अगस्त
ReplyDeleteजब हुआ क्रान्ति का पथ प्रशस्त
मतभेद हुए सारे निरस्त
घातक मनसूबे हुए ध्वस्त
तब आयी ये पन्द्रह अगस्त
क्या बात है नवीन जी ,, बहुत बढ़िया कविता है रवानी शिल्प और शब्दों का चयन सभी कुछ प्रशंसनीय
बधाई स्वीकार करें
.
ReplyDeleteकमाल ! कमाल !! कमाल !!!
नवीन जी !
बहुत अच्छा लिखा है आपने !
लीक से हट कर … अपनी अलग पहचान के अनुरूप रचना !
…आपकी पुरानी पोस्ट्स भी पढ़ी हैं
उन पर फिर आ रहा हूं … … …
बहुत बहुत मंगलकामनाएं !
नवीन जी !
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने !
Pilu
तिथि पन्द्रह अगस्त --स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक विशुद्ध तिथि-- के हो जाने की कई एक दशा का रोचक प्रस्तुतिकरण हुआ है.
ReplyDeleteहार्दिक बधाई, नवीन भाई.
--सौरभ पाण्डेय, नैनी, इलाहाबाद (उप्र)
सटीक शब्द रचना ...प्रभावी कविता ...
ReplyDeleteसटीक शब्द रचना ...प्रभावी कविता ...
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