सोनेट - तुफ़ैल चतुर्वेदी

सोनेट मूलतः योरोपीय शायरी की अच्छी-ख़ासी मुश्किल क़िस्म है. 14 मिसरों की इस काव्य विधा के नियम ख़ासे पेचीदा और कठिन हैं। ये विधा इतनी कठिन है कि विश्व साहित्य में सोनेट कह सकने वाले 50 नाम भी दिखायी नहीं देते। माना जाता है कि ये विधा इटली में जन्मी और वहां से फैली। एस्पेंसर, शेक्सपियर, पिटरार्क, टामस हार्डी, हौपकिन्स, जॉन मैसफ़ील्ड, ब्रुक, जी.एम. हौकिंसन, मैथ्यू और्नल्ड, वर्ड्सवर्थ, कूलरिज, शैली, कीट्स आदि इसके प्रमुख नाम हैं। हमारे यहां पहले सोनेटनिगार अज़ीमुद्दीन अहमद हुए हैं। इनका पहला सोनेट 1903 में सामने आया। 1928 में अख्तर जुनागढ़ी के सोनेट का संकलन लम्हाते-अख्तर के नाम से छपा। 1930 में नून. मीम. राशिद का सोनेट का संकलन ज़िन्दगी सामने आया। इस विधा के प्रमुख रचनाकारों में डॉ. हनीफ़ कैफ़ी, डॉ. नाज़िम जाफ़री, डॉ. अज़ीज़ तमन्नाई, आज़ाद गुलाटी, ख़लीलुर्रहमान राज़, नादिम बलखी, मुहम्मद इरफ़ान, निसार अयोलवी आदि हुए हैं।

सोनेट मूलतः तीन प्रकार के हैं मगर हमारे लोगों ने इसके सिवा भी उठा-पटक की है और उर्दू सोनेट की नयी शक्लें भी बनायी हैं।

1:- इटालियन या पिटरार्कन

2:-शेक्सपेरियन

3:- एस्पेंसेरियन

पिटरार्कन:- ये सोनेट की बुनयादी शक्ल है। इसके जनक इटली के शायर पिटरार्क हैं। इस सोनेट में 8 तथा 6 मिसरों के दो क़ितए होते हैं। पहले 8 मिसरों के क़ितए में 1,4,5 तथा 8वां मिसरा हमक़ाफ़िया होता है और 2,3,6 तथा 7वां मिसरा हमक़ाफ़िया होता है। शेष 6 मिसरों का क़ितआ दो तरह से शक्ल पाता है। 9,11,13वां मिसरा और 10,12 और 14वां मिसरा हमक़ाफ़िया होता है। दूसरी शक्ल में 9वां तथा 12वां, 10वां तथा 13वां और 11वां तथा 14वां मिसरा हमक़ाफ़िया होता है

शेक्सपेरियन सोनेट:- सोनेट की यह शैली मूलतः अर्ल ऑफ़ सरे की ईजाद है मगर शेक्सपियर के अधिक प्रसिद्ध हो जाने के कारण उनके नाम से पुकारी जाती है। ये सोनेट दो की जगह चार हिस्सों में बंटा होता है। चार-चार मिसरों के तीन बंद और अंत में बैत सोनेट का निचोड़ पेश करता है

एस्पेंसेरियन सोनेट:- इस शैली का सोनेट शेक्सपेरियन सोनेट की ही तरह हरकत करता है। उसी की तरह इसके हर बंद में पहला और तीसरा मिसरा तथा दूसरा और चौथा मिसरा हमक़ाफ़िया होता है। अंतर इतना है कि हर बंद के चौथे मिसरे का क़ाफ़िया अगले बंद के पहले मिसरे में अपना लिया जाता है

                 पिटरार्कन सोनेट

कुछ नहीं ऐ दिले-बीमार अभी कुछ भी नहीं
कितनी तकलीफ़ अभी सीना-ए-इफ़लास में है
सोज़िशे-ज़ख्मे-जिगर शिद्दते-अहसास में है
दिल धड़कने की ये रफ़्तार अभी कुछ भी नहीं
इक ख़ला है पसे-दीवार अभी कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी दूर बहुत दूर किसी आस में है
इक तअस्सुब की महक फूलों की बू-बास में है
क़िस्सा-ए-गेसु-ए-रुख़सार अभी कुछ भी नहीं

इसी उमीद पे रौशन हैं ये पलकों के चिराग़
इसी उमीद पे ज़िंदा हैं कि आयेगी सहर
मिल ही जायेगा कभी मंज़िले-हस्ती का सुराग़
हमने माना कि हर-इक अपना मुख़ालिफ़ है मगर
मरहमे-वक़्त से मिट जायेगा सीने का ये दाग़
और कुछ देर ठहर और अभी और ठहर ………………….डॉ. नाज़िम जाफ़री


ऐ मिरे चांद, मिरी आंख के तारे, मिरे लाल
ऐ मिरे घर के उजाले मिरे गुलशन की बहार
तेरे क़दमों पे हर इक नेमते-कौनैन निसार
हो सितारों की बुलंदी पे तिरा इस्तक़बाल
तेरी मंज़िल बने इन्सान की मेराजे-कमाल
तेरी महफ़िल में हो दोशीज़ा-ए-गेती का सिंगार
तेरा मक़सूद हो लैला-ए-तमददुन का निखार
तेरा मशहूद हो महबूबा-ए-फ़ितरत का जमाल

किसने देखा है मगर आह रुख़े-मुस्तक़बिल
कब धुआं बन के बिखर जाये ये नैरंगे-मजाज़
रंगे-महफ़िल ही उलट दे न बिसाते-महफ़िल
शिद्दते-नग़मा ही बन जाय न वीरानी-ए-दिल
औजे-फ़र्दा के तसव्वुर से लरज़ जाता है दिल
क्या दुआ दूँ मिरे बच्चे हो तिरी उम्र दराज़ ………………..डॉ. हनीफ़ कैफ़ी

हमें न चाहो कि हम बदनसीब हैं लोगो
हमारे चाहने वाले जिया नहीं करते
ये उनसे पूछो जो हमसे क़रीब हैं लोगो
ख़ुशी के दिन कभी हमसे वफ़ा नहीं करते

बुझी-बुझी सी तबीयत, उड़ा-उड़ा सा दिमाग़
हमारे सीना-ए-इफ़लास में दिले-महरूम
तलाश करने से पाता नहीं है अपना सुराग़
मचल रहा है मगर मुद्दआ नहीं मालूम

हमारी ज़ीस्त थी सादा वरक़ प क्या करते
सियाही वक़्त ने उलटी थी इस सलीक़े से
किसे हम अपनी हक़ीक़त से आशना करते
कि नक़्श कोई न उभरा किसी तरीक़े से
वो तिश्नगी है कि प्यासे ख़याल आते हैं
हमारे ख़ाबों में दरिया भी सूख जाते हैं ………………….डॉ. नाज़िम जाफ़री


व्यक्तित्व - सञ्जीव सराफ़

व्यक्तित्व

सञ्जीव सराफ़ 

संजीव सराफ़ पॉलिप्लेक्स कार्पोरेशन लि. के संस्थापक, अध्यक्ष और मुख्य अंशधारक हैं। यह कार्पोरेशन दुनिया में पी.ई.टी फ़िल्में बनानेवाली सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है।

श्री संजीव सराफ़ ने आरंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल में हासिल की और फिर आई.आई.टी खड़गपुर से 1980 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने ओडिशा में अपना पुश्तैनी कारोबार संभाला और फिर पॉलिप्लेक्स के रूप में औद्योगिक जगत में अपनी विशिष्ट छवि बनाई। इस कंपनी की पहचान उन्होंने अनुशंसनीय मूल्यों के आधार पर बनाई जिसकी औद्योगिक जगत में बहुत सराहना हुई। पॉलिप्लेक्स भारत और थाईलैंड की एक पंजीकृत कंपनी है।

  श्री सराफ़ ने व्यापार के दूसरे क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट सफलताएँ प्राप्त की हैं। उन्होंने ‘मनुपत्र’ नामक क़ानूनी सूचना उपलब्ध करनेवाली वेबसाइट भी बनाई है। पर्यावरण से अपने गहरे सरोकार को दर्शाते हुए उन्होंने अक्षय उर्जा के क्षेत्र में भी निवेश किया जिसके फलस्वरूप पंजाब, उत्तराखंड और सिक्किम में पन-बिजली प्रॉजेक्ट स्थापित किये गए। वह कई कंपनियों के बोर्ड के सक्रिय सदस्य भी हैं।

श्री सराफ़ उदार और मानवतावादी व्यक्ति हैं जो कंपनी की लोकहितकारी गतिविधियों में भी रूचि रखते हैं। इन गतिविधियों के अंतर्गत एक चैरिटेबल स्कूल भी चलाया जा रहा है जिसमें 1200 बच्चे शिक्षा पा रहे हैं। श्री सराफ़ को पढ़ने का ज़बर्दस्त शौक़ है। उन्हें उर्दू शायरी से गहरा भावनात्मक लगाव है और उन्होंने उर्दू लिपि भी सीखी है। उन्हें चित्रकला और संगीत से भी गहरा प्रेम है।


प्रयास - रेख़्ता


प्रयास


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रेख़्ता उर्दू शायरी का ऑन-लाइन ख़ज़ाना


      पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश के सांस्कृतिक नक्शे में एक बड़ी ख़ूबसूरत और हैरत में डालनी वाली तब्दीली आ रही है। यह बदलाव अभी पूरी तरह सतह पर नहीं आया है, इसलिए लोगों की नज़रों में भी नहीं आ सका है, लेकिन बहुत जल्द यह अपनी ताकतवर मौजूदगी का एलान करने वाला है। यह बदलाव है उर्दू शायरी से उन लोगों की बढ़ती हुई दिलचस्पी जो उर्दू नहीं जानते लेकिन उर्दू ग़ज़ल की शायरी को दिल दे बैठे हैं। उर्दू शायरी से दीवानगी की हद तक बढ़ी हुई यह दिलचस्पी इन लोगों को, जिनमें बड़ी तादाद नौजवानों की है, ख़ुद शायरी करने की राह पर ले जा रही है। इसके लिए बहुत से लोग उर्दू लिपि सीख रहे हैं। इस वक़्त पूरे देश में उर्दू शायरी के दीवाने तो लाखों हैं मगर कम से कम पाँच हज़ार नौजवान लड़के-लड़कियाँ हैं जो किसी न किसी रूप और सतह पर उर्दू शायरी पढ़ और लिख रहे हैं। 

      उर्दू शायरी के इन दीवानों को जिनकी तादाद बढ़ती जा रही है, कुछ दुश्वारियों का सामना भी करना पड़ता है। सब से बड़ी मुश्किल यह है कि पुराने और नए उर्दू शायरों का कलाम प्रमाणिक पाठ के साथ एक जगह हासिल नहीं हो पाता। ज़्यादातर शायरी देवनागरी में उपलब्ध नहीं है, और है भी तो आधी-अधूरी और बिखरी हुई। किताबें न मिलने की वजह से अधिकतर लोग इंटरनेट का सहारा लेते हैं मगर वहां भी उनकी तलाश को मंज़िल नहीं मिलती।


      लेकिन अब उर्दू शायरी पढ़ने और सुनने की प्यास और तलाश की एक मंज़िल मौजूद है- वह है सारी दुनिया में उर्दू शायरी की पहली प्रमाणिक और विस्तृत वेब-साइट ‘रेख़्ता’ ..... । उर्दू शायरी की इस ऑन-लाइन पेशकश का लोकार्पण 11 जनवरी, 2013 को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जनाब कपिल सिब्बल जी ने किया था। इस वेब-साइट का दफ़्तर नोएडा में है।



      ‘रेख़्ता’ एक उद्योगपति श्री संजीव सराफ़ की, उर्दू शायरी से दीवनगी की हद तक पहुँची हुई मोहब्बत का नतीजा है। दूसरों की तरह उन्हें भी उर्दू शायरी को देवनागरी लिपि में हासिल करने में दुश्वारी हुई, तो उन्होंने अपने जैसे लोगों को उनकी महबूब शायरी उपलब्ध कराने के लिए ‘रेख़्ता’ जैसी वेब-साइट बनाने का फैसला किया, और इसके लिए ‘रेख़्ता फाउंडेशन’ की नींव रखी गई।

      शुरू होते ही यह वेब-साइट एक ख़ुश्बू की तरह हिन्दोस्तान और पाकिस्तान और सारी दुनिया में मौजूद उर्दू शायरी के दीवानों में फैल गई। लोगों ने इसका स्वागत ऐसी ख़ुशी के साथ किया जो किसी नदी को देख कर बहुत दिन के प्यासों को होती है। दिलचस्प बात यह है कि उर्दू शायरी की इतनी भरपूरी वेब-साइट आज तक पाकिस्तान में भी नहीं बनी, जहाँ की राष्ट्रभाषा उर्दू है। ‘रेख़्ता’, सारी दुनिया के उर्दू शायरी के आशिकों को, उर्दू की मातृभूमि हिन्दोस्तान का ऐसा तोहफ़ा है जो सिर्फ वही दे सकता है।

      रेख्ता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें 300 साल की उर्दू शायरी का प्रमाणिक पाठ, उर्दू, देवनागरी और रोमन लिपियों में उपलब्ध कराया गया है। अब तक लगभग 1000 शायरों की लगभग 10,000 ग़ज़लें अपलोड की जा चुकी हैं। इनमें मीर, ग़ालिब, ज़ौक़, मोमिन, आतिश और दाग़ जैसे क्लासिकल शायरों से लेकर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, साहिर लुधियानवी, अहमद फ़राज़, शहरयार, निदा फ़ाज़ली, कैफ़ी आज़मी जैसे समसामयिक शायरों का कलाम शामिल है। कोशिश की गई है प्रसिद्ध और लोकप्रिय शायरों का अधिक से अधिक प्रतिनिधि कलाम पेश किया जाये। लेकिन ऐसे शायरों की भी भरपूर मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया है, जिनकी शायरी मुशायरों से ज़्यादा किताब के पन्नों पर चमकती है। शायरी को पढ़ने के साथ-साथ ऑडियो सेक्शन में इसे सुना भी जा सकता है। इस के अलावा बहुत से शायरों की प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गई ग़ज़लें भी पेश की गई हैं।


      ‘रेख़्ता’ का अपना ऑडियो और वीडियो स्टूडियो भी है जहाँ शायरों को बुलाकर उनकी ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग की जाती है। नवोदित शायरों को एक जीवंत प्लेटफार्म देना ‘रेख़्ता’ का एक ख़ास मक़सद है, जिसके तहत कवि-गोष्ठियाँ की जाती है और उनकी रिकार्डिंग पर उपलब्ध कराई जाती है।



      उर्दू शायरी सुनने और पढ़ने वाले गैर-उर्दू भाषी लोगों को यह मुश्किल भी पेश आती है कि उन्हें बहुत से शब्दों का अर्थ मालूम नहीं होता। इस मुश्किल को हल करने के लिए एक ऑन-लाइन शब्दकोष भी ‘रेख़्ता’ पर मौजूद है जहाँ वेबसाइट में शामिल हर शेर के हर शब्द का अर्थ दिया गया है। आप स्क्रीन पर नज़र आने वाले किसी भी शब्द पर क्लिक करके उसका अर्थ जान सकते हैं। इसके अलावा शब्द-समूहों या तरकीबों के अर्थ भी पेश किए गए है। ‘रेख़्ता’ पर उर्दू ग़ज़ल की परम्परा, प्रतीकों और रचनात्मक विशेषताओं की व्याख्या भी की गई है, ताकि नवोदित शायरों को रचना प्रक्रिया में आसानी हो सके।

      ‘रेख़्ता’ का एक और ख़ास पहलू इसका ‘ई-लाइब्रेरी’ सेक्शन है जहाँ उर्दू की पुरानी अनुपलब्ध किताबों को एक ऑन-लाइन आर्काइव में सुरक्षित किया जा रहा है। इस सेक्शन में शायरी के अलावा दूसरी विधाओं की किताबें और आज के लेखकों की किताबें भी अपलोड की जा रही हैं। ‘रेख़्ता’ की ‘ई-लाइब्रेरी’ में अब तक लगभग 1000 किताबें शामिल की जा चुकी हैं। मुंशी नवल किशोर प्रेस द्वारा प्रकाशित दुर्लभ पुस्तकों को रेख़्ता पर अपलोड किया जा रहा है। प्रसिद्ध उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो की महत्वपूर्ण कहानी संग्रह को रेख़्ता पर अपलोड किया जा चुका है। हाल ही में रेख़्ता को यूज़र फ़्रेंडली बनाया गया है जिससे रेख़्ता पर उपलब्ध साम्रगी को मोबाइल फोन पर भी आसानी से पढ़ा जा सकता है। रेख़्ता पर पहली बार ग़ालिब के ख़तों का संग्रह भी उपलब्ध कराया गया है।

      उर्दू की पुरानी, नई किसी भी शायरी या शायर के बारे में किसी को जो कुछ भी जानना हो, उसका जवाब ‘रेख़्ता’ पर मौजूद है। अगर सवाल का जवाब न मिले तो यह सवाल ‘कमेंट’ सेक्शन में पोस्ट किया जा सकता है। कोशिश की जाती है कि यह जानकारी जल्द से जल्द उपलब्ध कराई जाये। ‘रेख़्ता’ की तरफ़ से नवोदित शायरों को शायरी करने में आने वाली दुश्वारियों को दूर करने में मदद देने के लिए ‘मशवरे’ का सिलसिला भी शुरू होने वाला है।


      ‘रेख़्ता’ नए हिन्दोस्तान के दिलो-दिमाग़ में उठने वाले विचारों और अनुभवों की उथल-पुथल और चकाचौंध को स्वर देने का एक सशक्त ऑल-लाइन माध्यम है। ‘रेख़्ता’ देश की नई नस्ल के वैचारिक और भावनात्मक सशक्तीकरण का एक ऐसा ज़रिया है, जिससे हमारे देश के सांस्कृतिक भविष्य को एक नई वैचारिक द्रष्टि और नया सौन्दर्य बोध हासिल हो सकता है।

छन्दालय - 8 मात्रा वाले छन्द - आ. सञ्जीव वर्मा 'सलिल'

छन्दालय


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रेख़्ता उर्दू शायरी का ऑन-लाइन ख़ज़ाना


      पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश के सांस्कृतिक नक्शे में एक बड़ी ख़ूबसूरत और हैरत में डालनी वाली तब्दीली आ रही है। यह बदलाव अभी पूरी तरह सतह पर नहीं आया है, इसलिए लोगों की नज़रों में भी नहीं आ सका है, लेकिन बहुत जल्द यह अपनी ताकतवर मौजूदगी का एलान करने वाला है। यह बदलाव है उर्दू शायरी से उन लोगों की बढ़ती हुई दिलचस्पी जो उर्दू नहीं जानते लेकिन उर्दू ग़ज़ल की शायरी को दिल दे बैठे हैं। उर्दू शायरी से दीवानगी की हद तक बढ़ी हुई यह दिलचस्पी इन लोगों को, जिनमें बड़ी तादाद नौजवानों की है, ख़ुद शायरी करने की राह पर ले जा रही है। इसके लिए बहुत से लोग उर्दू लिपि सीख रहे हैं। इस वक़्त पूरे देश में उर्दू शायरी के दीवाने तो लाखों हैं मगर कम से कम पाँच हज़ार नौजवान लड़के-लड़कियाँ हैं जो किसी न किसी रूप और सतह पर उर्दू शायरी पढ़ और लिख रहे हैं। 

      उर्दू शायरी के इन दीवानों को जिनकी तादाद बढ़ती जा रही है, कुछ दुश्वारियों का सामना भी करना पड़ता है। सब से बड़ी मुश्किल यह है कि पुराने और नए उर्दू शायरों का कलाम प्रमाणिक पाठ के साथ एक जगह हासिल नहीं हो पाता। ज़्यादातर शायरी देवनागरी में उपलब्ध नहीं है, और है भी तो आधी-अधूरी और बिखरी हुई। किताबें न मिलने की वजह से अधिकतर लोग इंटरनेट का सहारा लेते हैं मगर वहां भी उनकी तलाश को मंज़िल नहीं मिलती।

      लेकिन अब उर्दू शायरी पढ़ने और सुनने की प्यास और तलाश की एक मंज़िल मौजूद है- वह है सारी दुनिया में उर्दू शायरी की पहली प्रमाणिक और विस्तृत वेब-साइट ‘रेख़्ता’ ..... । उर्दू शायरी की इस ऑन-लाइन पेशकश का लोकार्पण 11 जनवरी, 2013 को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जनाब कपिल सिब्बल जी ने किया था। इस वेब-साइट का दफ़्तर नोएडा में है।



      ‘रेख़्ता’ एक उद्योगपति श्री संजीव सराफ़ की, उर्दू शायरी से दीवनगी की हद तक पहुँची हुई मोहब्बत का नतीजा है। दूसरों की तरह उन्हें भी उर्दू शायरी को देवनागरी लिपि में हासिल करने में दुश्वारी हुई, तो उन्होंने अपने जैसे लोगों को उनकी महबूब शायरी उपलब्ध कराने के लिए ‘रेख़्ता’ जैसी वेब-साइट बनाने का फैसला किया, और इसके लिए ‘रेख़्ता फाउंडेशन’ की नींव रखी गई।

      शुरू होते ही यह वेब-साइट एक ख़ुश्बू की तरह हिन्दोस्तान और पाकिस्तान और सारी दुनिया में मौजूद उर्दू शायरी के दीवानों में फैल गई। लोगों ने इसका स्वागत ऐसी ख़ुशी के साथ किया जो किसी नदी को देख कर बहुत दिन के प्यासों को होती है। दिलचस्प बात यह है कि उर्दू शायरी की इतनी भरपूरी वेब-साइट आज तक पाकिस्तान में भी नहीं बनी, जहाँ की राष्ट्रभाषा उर्दू है। ‘रेख़्ता’, सारी दुनिया के उर्दू शायरी के आशिकों को, उर्दू की मातृभूमि हिन्दोस्तान का ऐसा तोहफ़ा है जो सिर्फ वही दे सकता है।

      रेख्ता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें 300 साल की उर्दू शायरी का प्रमाणिक पाठ, उर्दू, देवनागरी और रोमन लिपियों में उपलब्ध कराया गया है। अब तक लगभग 1000 शायरों की लगभग 10,000 ग़ज़लें अपलोड की जा चुकी हैं। इनमें मीर, ग़ालिब, ज़ौक़, मोमिन, आतिश और दाग़ जैसे क्लासिकल शायरों से लेकर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, साहिर लुधियानवी, अहमद फ़राज़, शहरयार, निदा फ़ाज़ली, कैफ़ी आज़मी जैसे समसामयिक शायरों का कलाम शामिल है। कोशिश की गई है प्रसिद्ध और लोकप्रिय शायरों का अधिक से अधिक प्रतिनिधि कलाम पेश किया जाये। लेकिन ऐसे शायरों की भी भरपूर मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया है, जिनकी शायरी मुशायरों से ज़्यादा किताब के पन्नों पर चमकती है। शायरी को पढ़ने के साथ-साथ ऑडियो सेक्शन में इसे सुना भी जा सकता है। इस के अलावा बहुत से शायरों की प्रसिद्ध गायकों द्वारा गायी गई ग़ज़लें भी पेश की गई हैं।

      ‘रेख़्ता’ का अपना ऑडियो और वीडियो स्टूडियो भी है जहाँ शायरों को बुलाकर उनकी ऑडियो-वीडियो रिकार्डिंग की जाती है। नवोदित शायरों को एक जीवंत प्लेटफार्म देना ‘रेख़्ता’ का एक ख़ास मक़सद है, जिसके तहत कवि-गोष्ठियाँ की जाती है और उनकी रिकार्डिंग पर उपलब्ध कराई जाती है।



आचार्य सञ्जीव वर्मा सलिल


हिंदी के मात्रिक छंद : १
 ८ मात्रा : अखंड, छवि,मधुभार, वासव,
संजीव
*
विश्व वाणी हिंदी का छांदस कोश अप्रतिम, अनन्य और असीम है। संस्कृत से विरासत में मिले छंदों  के साथ-साथ अंग्रेजी, जापानी आदि विदेशी भाषाओँ तथा पंजाबी, मराठी, बृज, अवधी आदि आंचलिक भाषाओं/ बोलिओं के छंदों को अपनाकर तथा उन्हें अपने अनुसार संस्कारित कर हिंदी ने यह समृद्धता अर्जित की है। हिंदी छंद शास्त्र के विकास में  ध्वनि विज्ञान तथा गणित ने आधारशिला की भूमिका निभायी है।

विविध अंचलों में लंबे समय तक विविध पृष्ठभूमि के रचनाकारों द्वारा व्यवहृत होने से हिंदी में शब्द विशेष को एक अर्थ में प्रयोग करने के स्थान पर एक ही शब्द को विविधार्थों में प्रयोग करने का चलन है। इससे अभिव्यक्ति में आसानी तथा विविधता तो होती है किंतु शुद्घता नहीँ रहती। विज्ञान विषयक विषयों के अध्येताओं तथा हिंदी सीख रहे विद्यार्थियों के लिये यह स्थिति भ्रमोत्पादक तथा असुविधाकारक है। रचनाकार के आशय को पाठक ज्यों  का त्यो ग्रहण कर सके इस हेतु हम छंद-रचना में प्रयुक्त विशिष्ट शब्दों के साथ प्रयोग किया जा रहा अर्थ विशेष यथा स्थान देते रहेंगे।

अक्षर / वर्ण = ध्वनि की बोली या लिखी जा सकनेवाली लघुतम स्वतंत्र इकाई।
शब्द = अक्षरों का सार्थक समुच्चय।
मात्रा / कला = अक्षर के उच्चारण में लगा समय।
लघु या छोटी  मात्रा = जिसके उच्चारण में इकाई समय लगे।  भार १, यथा अ, , , ऋ अथवा इनसे जुड़े अक्षर, चंद्रबिंदी वाले अक्षर
दीर्घ, हृस्व या बड़ी मात्रा = जिसके उच्चारण में अधिक समय लगे। भार २, उक्त लघु अक्षरों को छड़कर शेष सभी अक्षर, संयुक्त अक्षर अथवा उनसे जुड़े अक्षर, अनुस्वार (बिंदी वाले अक्षर)।
पद = पंक्ति, चरण समूह।
चरण = पद का भाग, पाद।
छंद = पद समूह।
यति = पंक्ति पढ़ते समय विराम या ठहराव के स्थान।
छंद लक्षण = छंद की विशेषता जो उसे अन्यों से अलग करतीं है।
गण = तीन अक्षरों का समूह विशेष (गण कुल ८ हैं, सूत्र: यमाताराजभानसलगा के पहले ८ अक्षरों में से प्रत्येक अगले २ अक्षरों को मिलाकर गण विशेष का मात्राभार  / वज़्न तथा मात्राक्रम इंगित करता है. गण का नाम इसी वर्ण पर होता है)।
तुक = पंक्ति / चरण के अन्त में  ध्वनि की समानता ।
गति = छंद में गुरु-लघु मात्रिक क्रम।
सम छंद = जिसके चारों चरण समान मात्रा भार के हों।
अर्द्धसम छंद = जिसके सम चरणोँ का मात्रा भार समान तथा विषम  चरणों का मात्रा भार एक सा  हो किन्तु सम तथा विषम चरणोँ क़ा मात्रा भार समान न हों।
विषम छंद = जिसके चरण असमान हों।
लय = छंद  पढ़ने या गाने की धुन या तर्ज़।
छंद भेद =  छंद के प्रकार।
वृत्त = पद्य, छंद, वर्स, काव्य रचना । ४ प्रकार- क. स्वर वृत्त, ख. वर्ण वृत्त, ग. मात्रा वृत्त, घ. ताल वृत्त।
जाति = समान मात्रा भार के छंदों का  समूहनाम।
प्रत्यय = वह रीति जिससे छंदों के भेद तथा उनकी संख्या जानी जाए। ९ प्रत्यय: प्रस्तार, सूची, पाताल, नष्ट, उद्दिष्ट, मेरु, खंडमेरु, पताका तथा मर्कटी।
दशाक्षर = आठ गणों  तथा लघु - गुरु मात्राओं के प्रथमाक्षर य म त र ज भ न स ल ग ।
दग्धाक्षर = छंदारंभ में वर्जित लघु अक्षर - झ ह  र भ ष। देवस्तुति में प्रयोग वर्जित नहीं। 
गुरु या संयुक्त दग्धाक्षर छन्दारंभ में प्रयोग किया जा सकता है।                                                                                    
अष्ट मात्रिक छंद / वासव छंद

जाति नाम वासव (अष्ट वसुओं के आधार पर), भेद ३४ संकेत: वसु, सिद्धि, विनायक, मातृका, मुख्य छंद: अखंड, छवि,मधुभार आदि।

वासव छंदों के ३४ भेदों की मात्रा बाँट निम्न अनुसार होगी:

अ. ८ लघु: (१) १. ११११११११,
आ. ६ लघु १ गुरु: (७) २. ११११११२ ३. १११११२१, ४. ११११२११, ५. १११२१११, ६. ११२११११, ७. १२१११११, ८. २११११११,
इ. ४ लघु २ गुरु: (१५) ९. ११११२२, १०. १११२१२, ११. १११२२१, १२, ११२१२१, १३. ११२२११, १४, १२१२११, १५. १२२१११ १६. २१२१११, १७. २२११११, १८. ११२११२,, १९. १२११२१, २०. २११२११, २२. १२१११२, २३. २१११२१,
ई. २ लघु ३ गुरु: (१०) २४. ११२२२, २५. १२१२२, २६. १२२१२, २७. १२२२१, २८. २१२२१, २९. २२१२१, ३०. २२२११, ३१. २११२२, ३२. २२११२, ३३. २१२१२
उ. ४ गुरु: (१) २२२२

छंद की ४ या ६ पंक्तियों के में इन भेदों का प्रयोग कर और अनेक उप प्रकार रचे जा सकते हैं.

छंद लक्षण: प्रति चरण ८ मात्रा

लक्षण छंद:
अष्ट कला चुन / वासव रचिए


उदाहरण:

१. करुणानिधान! सुनिए पुकार
   रख दास-मान, भव से उबार  

२. कर ले सितार, दें छेड़ तार
   नित तानसेन, सुध-बुध बिसार

३. जब लोकतंत्र, हो लोभतंत्र
    बन कोकतंत्र, हो शोकतंत्र

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अखण्ड छंद
*
छंद-लक्षण: वासव जाति, ४ चरण (प्रति चरण ८ मात्रा), कुल ३२ मात्राओं का छंद है.

लक्षण छंद:

चार चरण से दो पद रचिए,
छंद अखंड न बंधन रखिए।
चरण-चरण हो अष्ट मात्रिक,
गति लय भाव बिम्ब रस लखिए।

उदाहरण:
१. सुनो प्रणेता, बनो विजेता
    कहो कहानी नित्य सुहानी
    तजो बहाना वचन निभाना
    सजन सजा ना! साज बजा ना!
    लगा डिठौना, नाचे छौना
    चाँद चाँदनी, पूत पावनी
    है अखंड जग, आठ दिशा मग
    पग-पग चलना, मंज़िल वरना

२. कवि जी युग की करुणा लिखा दो
    कविता अरुणा-वरुणा लिख दो
    सरदी-गरमी-बरखा लिख दो
    बुझना जलना चलना लिख दो
    रुकना, झुकना, तनना लिख दो
    गिरना-उठना-बढ़ना लिख दो
    पग-पग सीढ़ी चढ़ना लिख दो

छवि छंद
*
छंद लक्षण: जाति वासव, प्रति चरण  ८ मात्रा चरणान्त गुरु गुरु (यगण, मगण)

लक्षण छंद:

सुछवि दिखाना, मत तरसाना
अष्ट कलाएँ , य-म गण भाएँ

उदाहरण:
१. करुणानिधान! सुनिए पुकार
   रख दास-मान, भव से उबार  

२. कर ले सितार, दें छेड़ तार
   नित तानसेन, सुध-बुध बिसार

३. जब लोकतंत्र, हो लोभतंत्र
    बन कोकतंत्र, हो शोकतंत्र

मधुभार छंद : ८ मात्रा
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छंद लक्षण: मधुभार अष्टमात्रिक छंद है. इसमें ३ -५ मात्राओं पर यति और चरणान्त में लघु-गुरु-लघु (जगण) होता है.

लक्षण छंद : वसु, सिद्धि, विनायक, मातृका

चुन अष्ट कला, त्रै - पांच भला
यजण चरणान्त, मधुभार ढला 

उदाहरण:

१. सहे मधुभार / सुमन गह सार
   त्रिदल अरु पाँच / अष्ट छवि साँच

२. सुनो न हिडिम्ब / चलो अविलंब
     बनो  मत खंब / सदय अब अंब


आचार्य सञ्जीव वर्मा सलिल

9425183144