अनुप्रास:
सुखद, सरस, सदगुण सना, शुभ्र, सुसंस्कृत, सार|
सत्य, सुरम्य, सुहावना, दीपों का त्यौहार||
यहाँ 'स' अक्षर के बार बार आने से अनुप्रास अलंकार होता है|
श्लेषालंकार:
सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक||
यहाँ 'हरि' शब्द के दो अर्थ होने से श्लेषालंकार बनता है|
पहला अर्थ: नारायण / ईश्वर
दूसरा अर्थ: बंदर
उपमा अलंकार:
घी घटता ही जाय ज्यों, बाती जलती जाय|
सुखद, सरस, सदगुण सना, शुभ्र, सुसंस्कृत, सार|
सत्य, सुरम्य, सुहावना, दीपों का त्यौहार||
यहाँ 'स' अक्षर के बार बार आने से अनुप्रास अलंकार होता है|
श्लेषालंकार:
सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक||
यहाँ 'हरि' शब्द के दो अर्थ होने से श्लेषालंकार बनता है|
पहला अर्थ: नारायण / ईश्वर
दूसरा अर्थ: बंदर
उपमा अलंकार:
घी घटता ही जाय ज्यों, बाती जलती जाय|
नव यौवन सी झूमती, दीपाशिखा बल खाय||
नवीन जी छा गए। अब कौन इन्हें याद रखता है। इसे जिलाए रखिए।
जवाब देंहटाएंचिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
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जवाब देंहटाएंदोहे रचने की कला, में हो सिद्ध प्रवीन.
जवाब देंहटाएंअनुपम दिया उदाहरण, भाई मित्र नवीन..
साधुवाद तुमको मेरा, सदा सफल हो मित्र.
दोहे रचते ही रहो, अद्वितीय हो चित्र..
सादर : अम्बरीष श्रीवास्तव