उपमा, श्लेष और अनुप्रास अलंकार युक्त दोहे

अनुप्रास:
सुखद, सरस, सदगुण सना, शुभ्र, सुसंस्कृत, सार|
सत्य, सुरम्य, सुहावना, दीपों का त्यौहार||

यहाँ 'स' अक्षर के बार बार आने से अनुप्रास अलंकार होता है|

श्लेषालंकार:
सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक|
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक||

यहाँ 'हरि' शब्द के दो अर्थ होने से श्लेषालंकार बनता है|
पहला अर्थ: नारायण / ईश्वर
दूसरा अर्थ: बंदर

उपमा अलंकार:
घी घटता ही जाय ज्यों, बाती जलती जाय|
नव यौवन सी झूमती, दीपाशिखा बल खाय||

3 टिप्‍पणियां:

  1. नवीन जी छा गए। अब कौन इन्हें याद रखता है। इसे जिलाए रखिए।

    चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
    हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
    अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
    प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
    सादर,
    मनोज कुमार

    जवाब देंहटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. दोहे रचने की कला, में हो सिद्ध प्रवीन.
    अनुपम दिया उदाहरण, भाई मित्र नवीन..
    साधुवाद तुमको मेरा, सदा सफल हो मित्र.
    दोहे रचते ही रहो, अद्वितीय हो चित्र..
    सादर : अम्बरीष श्रीवास्तव

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.

विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.