ज्योति जला जगमग.............
पर्व प्रकाश पुंज का आया
बाल-अबाल हृदय हरषाया
नर-नारी सब चहक रहे हैं
बन के नभ के खग...............
ज्योति जला जगमग
मालपुआ, बरफी, रसगुल्ला
बम्ब, पटाखे - खुल्लमखुल्ला
हर दुकान पर भाँति भाँति के
सजे हुए हैं नग.............
ज्योति जला जगमग
तम-प्रकाश का साथ पुरातन
सुख-दुख का मेला है जीवन
ध्यान रहे जब कष्ट पड़े तो
कदम न हों डगमग................
ज्योति जला जगमग
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
पर्व प्रकाश पुंज का आया
बाल-अबाल हृदय हरषाया
नर-नारी सब चहक रहे हैं
बन के नभ के खग...............
ज्योति जला जगमग
मालपुआ, बरफी, रसगुल्ला
बम्ब, पटाखे - खुल्लमखुल्ला
हर दुकान पर भाँति भाँति के
सजे हुए हैं नग.............
ज्योति जला जगमग
तम-प्रकाश का साथ पुरातन
सुख-दुख का मेला है जीवन
ध्यान रहे जब कष्ट पड़े तो
कदम न हों डगमग................
ज्योति जला जगमग
:- नवीन सी. चतुर्वेदी
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