मस्ती भरे आबाल बच्चे, नाचते अरु झूमते।
पावस अनंतर तरु सघन, जैसे धरा को चूमते।।
हर ओर सुख समृद्धि के ही, दृश्य दिखते हैं घने।
जैसे कि हलधर, देख अपनी - फसल, खुशियों से तने।१।
कर्मठ मनुज, करते दिखें, बस - कर्म की आराधना।
वाणी-हृदय- व्यवहार से, बस - शक्ति की ही साधना।।
जिसने इसे अपना लिया, उस - का सफ़ीना पार है।
नवरात्रि का त्यौहार, मानव - मात्र का त्यौहार है।२।
हरिगीतिका छंद
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