सभी साहित्य रसिकों का सादर अभिवादन
इस चिलचिलाती गर्मी में मथुरा जाने से पहले -
कुण्डलिया छन्द पर आमंत्रित इस तीसरी समस्या पूर्ति के सातवें सत्र में आज ग्यारहवें और बारहवें कवियों की कुण्डलिया पढ़ते हैं हम लोग| इन छंदों के साथ इस आयोजन में प्रकाशित कुंडलियों की संख्या हो जाती है अब ३१| समस्या पूर्ति मंच को शुरू से ही अपना आशीर्वाद प्रदान करने वाले आदरणीय रूप चन्द्र शास्त्री जी के छंदों को पढ़ते हैं पहले:-
अंग प्रदर्शन कर रहीं, हिला-हिला कर हाथ।।
हिला-हिला कर हाथ, खूब मटकाती कन्धे।
खुलेआम मैदान, इशारे करतीं गन्दे।।
कह मयंक कविराय, हुई नंगी बन्दरियाँ।
लाज-हया को छोड़, नाचती हैं सुन्दरियाँ।।
[अरे भाई ........कोई तो लिखो.... पुणे वाली टीम की नुत्यांगनाओं के बारे में]
भारत में आतंक की, आई कैसी बाढ़।
भाई अपने भाई से, ठान रहा है राड़।।
ठान रहा है राड़, चाल है बदली-बदली।
क्यों है कण्टक-ग्रस्त, सलोना पादप कदली।
कह मयंक कविराय, हुए सज्जन हैं आरत।
कैसे निज सम्मान, पुनः पायेगा भारत??
[सचमुच भद्र जन आरत हैं]
कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
दिनचर्या के ढंग, हो गयी दुनिया छोटी।
देता है यह यन्त्र, आजकल रोजी-रोटी।।
कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।
[सीख रहे हैं सर, सभी]
:- रूपचंद्र शास्त्री मयंक
भारत भूमि सुहावनी, बसती अपनी जान|
जीवन में सबसे बड़ा, माता का सम्मान||
माता का सम्मान, मातु या धरती माता|
हमको इनके हेतु, प्राण देना है आता|
कह 'झंझट' झन्नाय, रहो हर पल सेवारत|
बने विश्वशिरमौर, हमारा प्यारा भारत|१|
[आपकी झन्नाहट सही है बन्धु]
कम्पूटर की क्रांति ने, बदल दिया संसार|
खट-खट किट-किट कीजिये, खुले अजायब द्वार||
खुले अजायब द्वार, खबर दुनिया की लीजै|
कई दिनों के काम, पलक झपकाते कीजै|
सुन 'झंझट', झंकार - गीत - संगीत भी सुन्दर|
बड़े काम की चीज़ - हुई, भैया! कम्प्यूटर|२|
[अजायब घर तो सुना था, पर ये अजायब द्वार का प्रयोग वाकई जबरदस्त रहा]
सुन्दरियाँ संसार में , खोलें सुख के द्वार|
जीवन भरतीं प्रेम से , पल-पल उपजे प्यार||
पल-पल उपजे प्यार , सुमन सी सुन्दर सोहैं|
चन्दन जैसा अंग-अंग महके मन मोहैं|
कह 'झंझट' हरषाय, वाह धरती की परियाँ|
करतीं जीवन धन्य , धन्य सुन्दर सुन्दरियाँ|३|
['झंझट' हर्ष के साथ!!!! पहली बार देखा..........भई वाह| और 'चंदन जैसा अंग' वाली पंक्ति तो जबरदस्त रही बन्धु]
:-सुरेंद्र सिंह झंझट
हिला-हिला कर हाथ, खूब मटकाती कन्धे।
खुलेआम मैदान, इशारे करतीं गन्दे।।
कह मयंक कविराय, हुई नंगी बन्दरियाँ।
लाज-हया को छोड़, नाचती हैं सुन्दरियाँ।।
[अरे भाई ........कोई तो लिखो.... पुणे वाली टीम की नुत्यांगनाओं के बारे में]
भारत में आतंक की, आई कैसी बाढ़।
भाई अपने भाई से, ठान रहा है राड़।।
ठान रहा है राड़, चाल है बदली-बदली।
क्यों है कण्टक-ग्रस्त, सलोना पादप कदली।
कह मयंक कविराय, हुए सज्जन हैं आरत।
कैसे निज सम्मान, पुनः पायेगा भारत??
[सचमुच भद्र जन आरत हैं]
कम्प्यूटर अब बन गया, जन-जीवन का अंग।
कलियुग ने बदले सभी, दिनचर्या के ढंग।।
दिनचर्या के ढंग, हो गयी दुनिया छोटी।
देता है यह यन्त्र, आजकल रोजी-रोटी।।
कह मयंक कविराय, यही नवयुग का ट्यूटर।
बाल-वृद्ध औ’ तरुण, सीख लो अब कम्प्यूटर।
[सीख रहे हैं सर, सभी]
:- रूपचंद्र शास्त्री मयंक

जीवन में सबसे बड़ा, माता का सम्मान||
माता का सम्मान, मातु या धरती माता|
हमको इनके हेतु, प्राण देना है आता|
कह 'झंझट' झन्नाय, रहो हर पल सेवारत|
बने विश्वशिरमौर, हमारा प्यारा भारत|१|
[आपकी झन्नाहट सही है बन्धु]
कम्पूटर की क्रांति ने, बदल दिया संसार|
खट-खट किट-किट कीजिये, खुले अजायब द्वार||
खुले अजायब द्वार, खबर दुनिया की लीजै|
कई दिनों के काम, पलक झपकाते कीजै|
सुन 'झंझट', झंकार - गीत - संगीत भी सुन्दर|
बड़े काम की चीज़ - हुई, भैया! कम्प्यूटर|२|
[अजायब घर तो सुना था, पर ये अजायब द्वार का प्रयोग वाकई जबरदस्त रहा]
सुन्दरियाँ संसार में , खोलें सुख के द्वार|
जीवन भरतीं प्रेम से , पल-पल उपजे प्यार||
पल-पल उपजे प्यार , सुमन सी सुन्दर सोहैं|
चन्दन जैसा अंग-अंग महके मन मोहैं|
कह 'झंझट' हरषाय, वाह धरती की परियाँ|
करतीं जीवन धन्य , धन्य सुन्दर सुन्दरियाँ|३|
['झंझट' हर्ष के साथ!!!! पहली बार देखा..........भई वाह| और 'चंदन जैसा अंग' वाली पंक्ति तो जबरदस्त रही बन्धु]
:-सुरेंद्र सिंह झंझट
एक बात आप लोगों को जो अब तक नहीं बताई, वो अब बता देता हूँ| इस समस्या पूर्ति में जो कंप्यूटर शब्द लिया गया है - उसे प्रस्तावित किया था आदरणीया पूर्णिमा बर्मन जी ने| और शायद ये ही पहले 'कंप्यूटर कवियत्री' के नाम से भी लिखती थीं| योगराज प्रभाकर, शास्त्री जी के अलावा 'भारत' शब्दका समर्थन किया था पंकज सुबीर जी ने भी| सुन्दरियाँ शब्द लेने का सारा इलज़ाम में अपने सर पे लेता हूँ.................नहीं नहीं मैं उन का नाम यहाँ नहीं बता सकता भाई ............................उन्होंने मना किया है|
भारत शब्द पर एक से बढ़ कर एक कुंडली छन्द पढ़ने को मिले हैं अब तक इस आयोजन में और आशा है कि कुछ और भी विलक्षण छन्द पढ़ने को मिलें| कंप्यूटर शब्द पर एक ही जगह इतने सारे छन्द होना भी एक उपलब्धि रहेगी इस आयोजन की|
एक हफ्ते मथुरा-दिल्ली रहूँगा| मौजूदा दौर के एक प्रतिष्ठित सरस्वती पुत्र के चरण स्पर्श करने के मोह का संवरण नहीं हो पा रहा अब| लौटने पर उन के बारे में भी आप से बतियाऊंगा| वहाँ साइबरालयों की उपलब्धता, बिजली देवी की मेहरबानी और इन्टरनेट देवता की अनुकम्पा रही तो आप लोगों से जुड़े रहने की लालसा जरुर रहेगी| तब तक के लिए ............जय माँ शारदे|
भारत शब्द पर एक से बढ़ कर एक कुंडली छन्द पढ़ने को मिले हैं अब तक इस आयोजन में और आशा है कि कुछ और भी विलक्षण छन्द पढ़ने को मिलें| कंप्यूटर शब्द पर एक ही जगह इतने सारे छन्द होना भी एक उपलब्धि रहेगी इस आयोजन की|
एक हफ्ते मथुरा-दिल्ली रहूँगा| मौजूदा दौर के एक प्रतिष्ठित सरस्वती पुत्र के चरण स्पर्श करने के मोह का संवरण नहीं हो पा रहा अब| लौटने पर उन के बारे में भी आप से बतियाऊंगा| वहाँ साइबरालयों की उपलब्धता, बिजली देवी की मेहरबानी और इन्टरनेट देवता की अनुकम्पा रही तो आप लोगों से जुड़े रहने की लालसा जरुर रहेगी| तब तक के लिए ............जय माँ शारदे|
बहुत ही सुंदर कुंडलियाँ रची हैं दोनों ही रचनाकारों ने। बहुत बहुत बधाई शास्त्री जी को और सुरेंदर जी को
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद चतुर्वेदी जी , मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए |
ReplyDeleteआद० शास्त्री जी तो छंदशास्त्र पारंगत गुरुतुल्य हैं , उनकी कुण्डलियाँ बहुत अच्छी हैं |
आपका 'समस्यापूर्ति' मंच छंदशास्त्र की कार्यशाला है , इस पर आकर बहुत कुछ नए प्रयोग किये जा सकते हैं |
सुंदर कुंडलियाँ हैं
ReplyDeleteसुंदर हैं बहुत ही दोनो रचनाकारों की रचनाएँ ... कुंडलियों के अंदाज़ में ...
ReplyDeleteROOP CHANDRA SHASTRI " MAYANK " AUR SURENDRA
ReplyDeleteSINGH " JHANJHAT " KEE KUNDLIYAN PADH KAR
AANANDIT HO GAYAA HOON . BADHAAEE AUR SHUBH
KAMNAAYEN .
मयंक जी और झंझट जी की कुण्डलियां बहुत अच्छी लगीं। दोनों सम्मान्य कवियों को बधाई।
ReplyDeleteशास्त्री जी व झंझट जी की कुन्डलियाँ बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।
ReplyDeleteकुंडलिया बहुत अच्छी लगीं |छंदों की जानकारी और मात्रा की गणना करना भी उपयोगी जानकारी के लिए आभार |
ReplyDeleteआशा