नमस्कार,
हिन्दी माह, हिन्दी पखवाड़े, हिन्दी सप्ताह और हिन्दी दिवसों को मनाने वाले इस कालखण्ड में हमने हिन्दी गजलों के साथ उर्दू, संस्कृत, अवधी, ब्रजभाषा और राजस्थानी गजलों का भी समावेश किया है. शंका न हो इसलिए स्पष्ट कर दें कि हम केवल देवनागरी में लिखे होने के कारण किसी गजल को हिन्दी गजल नहीं मानते. अनेक आकर्षणों से सुसज्जित इस नवीनाद्यतन के साथ हम पुनः उपस्थित हैं. विभिन्न भाषाओं की स्वीकार्य, सम्भाव्य एवं रुचिकर विविध विधाओं के प्रकाशन के लिए समर्पित वेबपोर्टल साहित्यम के सद्याद्यतन में निम्नलिखित कृतियों का समावेश किया गया है.