मै ऊबता हूँ न क़िस्से को और
लम्बा खींच
अगर है हाथ में डोरी तो फिर ये पर्दा खींच
चुरा के नींद
मेरी चैन से जो
सोया है
उसे दिखा तू बुरे ख़्वाब सर
से तकिया खींच
बता कि जिस्म
का आज़ार लाइलाज हुआ
तबीब जान की परवा न कर तू
पैसा खींच
सुरंग ए जिस्म है लम्बी सो
एहतियात बरत
भटक न जाय कहीं साँस को न
इतना खींच
कुएँ में गिर गई गगरी तो
जाने कब निकले
अभी है हाथ में रस्सी, सिरा इसी का खींच

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी करने के लिए 3 विकल्प हैं.
1. गूगल खाते के साथ - इसके लिए आप को इस विकल्प को चुनने के बाद अपने लॉग इन आय डी पास वर्ड के साथ लॉग इन कर के टिप्पणी करने पर टिप्पणी के साथ आप का नाम और फोटो भी दिखाई पड़ेगा.
2. अनाम (एनोनिमस) - इस विकल्प का चयन करने पर आप की टिप्पणी बिना नाम और फोटो के साथ प्रकाशित हो जायेगी. आप चाहें तो टिप्पणी के अन्त में अपना नाम लिख सकते हैं.
3. नाम / URL - इस विकल्प के चयन करने पर आप से आप का नाम पूछा जायेगा. आप अपना नाम लिख दें (URL अनिवार्य नहीं है) उस के बाद टिप्पणी लिख कर पोस्ट (प्रकाशित) कर दें. आपका लिखा हुआ आपके नाम के साथ दिखाई पड़ेगा.
विविध भारतीय भाषाओं / बोलियों की विभिन्न विधाओं की सेवा के लिए हो रहे इस उपक्रम में आपका सहयोग वांछित है. सादर.