चराग़दान था, कन्दील थी, सुराही
थी
दुलाईयाँ थीं, रजाई थी, चारपाई
थी
एक इत्रदान था, एक पानदान, एक गुलदान
एक आफ़ताबा, नमकदान, एक
दस्तर-ख़्वान
अँगीठी, सनसी, उलटनी और
एक दस्त-पनाह
रकाबियाँ थीं बड़ी छोटी, तश्तरी, लुटिया
दो चार प्यालियाँ, सिल-बट्टा, घोंटनी, चमचे
नमक-शकर की अलग बरनियाँ, अचार का जार
मिसहरी, छोटी सी अलमारी, एक दो कुर्सी
क़लम, दवात, किताबें,
बयाज़ें, तस्बीहें
हवा के वास्ते झालर लगे हुए पंखे
गिलाफ़ था तो कहीं बे गिलाफ़ थे तकिए
यही था सब का असासा, यही थे माहो-नूज़ूम
अब इस दयार में रक़्साँ है सारिफ़ों का हुज़ूम
बस एक धुन है कि बाज़ार घर में ले आएं
सुकून के वास्ते आज़ार घर में ले आएं

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