हर बात की है आपको उजलत मेरे हुज़ूर
मरने के बाद मिलती है जन्नत
मेरे हुज़ूर
की हो कभी किसी से तो फिर
जानते भी आप
इक शै है इस जहाँ में मुहब्बत मेरे हुज़ूर
हमको किसी का ख़ौफ़ नहीं कह भी
देंगे सच
पर हो न जाए आपको दिक्कत
मेरे हुज़ूर
पर्दे हटा के रेशमी, खिड़की
से देखिये
बंगले के उस तरफ़, वो
है ग़ुरबत मेरे हुज़ूर
मजबूरियों में हमने तो बेचीं
हैं हसरतें
पर आपने तो बेच दी ग़ैरत मेरे
हुज़ूर
लगता ग़ज़ल सराई है आसान काम
पर
लगती है इसमें ज़ेहन की मेहनत
मेरे हुज़ूर
बिकने लगे न सड़कों पे सच दो
पे तीन फ्री
इतनी न कम लगाइए क़ीमत मेरे
हुज़ूर
सुन लीजिए जो दिल में हैं
शिकवे शिकायतें
इससे कि पहले ले लूं मैं
रुख़सत मेरे हुज़ूर
कुछ तो ज़रूरतों से ज़ियादा भी दीजिये
ख़ुशियों में कीजिये न किफ़ायत मेरे हुज़ूर

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