कविता - प्रेम - सन्ध्या यादव


प्रेम ...

1)अपनी बेकारी के दिनों में

एक लोहे का कड़ा खरीद 

दिया था उसने जन्मदिन पर

आज भी सोने के कंगन

के साथ पहनती हूँ

"मंदिर का चढ़ावा है " पूछने पर

सब को  हँसते हुये  कहती हूँ ...

 

2) उसे बारिश में नाव चलाना

बहुत पसंद था

उसके लिखे सारे प्रेम -पत्र

नाव बनाकर देवता को चढाये फूल

रखकर गंगा में प्रवाहित कर दिये हैं...

 

3) उसने अबतक सँभाल रखे हैं

अपनी आलमारी में मेरे फूल कढे रूमाल

पूछने पर अपनी बिटिया को बताता है

"होम साइंस "की क्लास में हमारे जमाने में

लड़कों को भी सिखाया जाता था...

 

4) प्रेम में ग्लास कभी भी

आधा खाली नहीं होता

आधा ही भरा होता है

मिल जाये तो भी

बिछड़ जाये तब  भी

न जाने क्यों

वो हमेशा कहता था...

 

5) नयी नौकरी से मिली

पहली पगार मिलने पर

उपहार में "शिल्पा बिंदी "का

पैकेट  लाया था वो

लाल बिंदी  माथे पर लगा

"दुनिया की सबसे सुंदर लड़की "

कहा था उसने...

 

6) "लड़कियों के सपने में

अमीर राजकुमार ही आते हैं न ?"

गरदन झुकाये बगीचे में पूछा था उसने

"लड़़कियों के सपने में सिर्फ

प्यार की कैरी में सम्मान के मसाले

और अपनेपन के तेल में डूबे लड़के

ही आते हैं "उसकी लायी कच्ची कैरी को

ज़बान पर रखी खटास में मिठास भरते

हुये कहा था मैंने ,

"पगली लड़़की" सिर पर चपत लगा

तब मुस्कुराया था वो...

 

7) लाइब्रेरी से किताबें लाकर देता था वो

" उस पेज की वो लाइन ज़रुर पढ़ना "

दिल की अपनी बातें

बस ऐसे ही  कहता था वो ...

 

8) प्रेम को पिरेम ही हमेशा

कहता था वो "गँवार "

"जो नहीं मिल पाये हम

प्रेम शब्द सुनकर दिल नहीं दुखेगा "

न जाने क्यों ऐसा कहता था वो...

 

9) "लाल रंग फबता है तुमपर बहुत "

नज़रें झुकाकर कहता था वो

अम्मा के लाख समझाने पर भी

लाल साड़ी ,लाल चूडी ब्याह पर और

उसके बाद भी कभी नहीं पहनी मैंने ...

 

10) "बिछड़े तो फिर कभी नहीं मिलेंगे "

ठाकुरजी की कसम संग खायी थी हमने

बस इसी वास्ते फेसबुक पर फोटो देख

दिन भर उसकी "वाल "के चक्कर भी

लगा लेती हूँ कई  -कई दफ़ा पर

"फ्रेंड रिक्वेस्ट "कभी नहीं भेजी

एक दूसरे को हमने  ,

" प्रेम में कसम तोड़ना पाप   होता  है "

एक बार कहा था उसने  

3 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद साहित्यम

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  2. प्रेम की वेदना से पगी ,श्रेष्ठतम अंश कविताएं ......नई पीढ़ी इस वेदना की कल्पना तक नही कर सकती ,न इतने गहरे उतरती है !
    सन्ध्या जी के तो हम आभारी हैं ही ,साहित्यम को भी अच्छी रचनाएं पढ़वाने के लिए ,ह्रदय से धन्यवाद !🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. कितनी प्यारी कविताएं सारी प्रेम से सराबोर

    जवाब देंहटाएं

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