नमस्कार.
ठिठुराने वाली ठण्ड तो अभी दूर है मगर हाँ गर्मागर्म गाजर के हलवे और आलू के पराठों की याद दिलाने वाला मौसम अवश्य आ चूका है. आप में से अनेक लोग इनका स्वाद ले भी चुके होंगे. आइये अगले अद्यतन का आनन्द लिया जाए.
1. कहानी – चीनी की स्वीटी और लाटसाहब - रेखा बब्बल
2. कविता – मन का टूटना – हृदयेश मयंक
3. कविता – खिड़की भर दुनिया - डॉ कनक लता तिवारी
4. दोहे - विवेक मिश्र
5. नवगीत - सोच रहा सुधुआ - राम निहोर तिवारी
6. तज़मीनी (मुख़म्मस) ग़ज़ल – सत्यवान सत्य
7. ग़ज़ल - हमारी नज़्म को तब इक नई हयात मिली – मयंक अवस्थी
8. व्यंग्य - आम आदमी और मसीहा – कमलेश पाण्डेय
9. ग़ज़ल - रक्खा जमा के पाँव फिसलने नहीं दिया - निरुपमा चतुर्वेदी 'रूपम'
10. ग़ज़ल - हर बात की है आपको उजलत मेरे हुज़ूर विकास जोशी ‘वाहिद’
11. ग़ज़ल – देख चाहत से न यूँ देखने वाले मुझको – सिद्धार्थ शाण्डिल्य’
12. ग़ज़ल - मै ऊबता हूँ न क़िस्से को और लम्बा खींच – सुभाष पाठक ‘ज़िया’
13. ग़ज़ल - दूर हो माँ बाप से तो ज़िन्दगी किस काम की - तनोज दाधीचि
14. ग़ज़ल - ज़रा सी बात पर रूठा हुआ है – माधवी शंकर
15. नज़्म - मेरी माँ - अजय सहाब
16. नज़्म - सारिफ़ीयत (कंज्यूमरिज्म) – शाहिद लतीफ़
17. एक नज़्म़ पूना शहर के नाम – उद्धव महाजन ‘बिस्मिल’
18. लघुकथा - आँसुओं की भाषावली - योगराज
प्रभाकर
19. लघुकथा - माँ - अनिल शूर ‘आज़ाद’
20. एक हरियाणवी रागिनी किस्सा मदनसेन चन्दकिरण - शिवचरण शर्मा 'मुज़्तर'
21. बालगीत - बिल्ली बोली शेर बनूँगी - आशा पाण्डेय ओझा 'आशा'
22. भोजपुरी नवगीत - नवका साल के नवगीत – सौरभ पाण्डेय
23. संस्कृत गजल - चिन्त्यते यन्नो तथा संजायते – डॉ. लक्ष्मी नारायण पाण्डेय
24. हिन्दी गजल - तपन पीता हूँ मैं सबकी अगन की - अशोक अग्रवाल 'नूर'
25. हिंदीगजल - कितना भी कोई घर को भरे जोड़-तोड़ कर - डॉक्टर दमयंती शर्मा 'दीपा'
26. ब्रजगजल - चौं तुम झूठी रार करौ हौ – भरतदीप माथुर
27. अवधी गजल - हँसी हँसारत करावा जनि तू, करै
लगे बतकही जमाना - राजीव मिश्र 'मधुकर'
28. अवधी गजल - धरा धीर सूरज निकरबइ करे - राजमूर्ति 'सौरभ'
29. ગુજરાતી ગઝલ - જીવવાનું મૂલ્ય બહુ વરવુ પડ્યું,
- ડૉ પ્રણય વાઘેલા
30. ગુજરાતી ગઝલ – હું લાગુ છું સદાચારી – રાજેશ હિંગુ
31. मराठी गझल - राखेमध्ये दडलेला अंगार असावा - शिल्पा देशपांडे
32. समीक्षा - चाँद अब हरा हो गया है (के पी अनमोल एवं अनामिका कनौजिया 'प्रतीक्षा' का अनूठा कविता संग्रह)
33. साहित्यम् के साथी - नीरज गोस्वामी जी
विभिन्न भाषाओँ / बोलियों को समृद्ध करते विविधायामी साहित्यिक रचनाओं को चाहने वालों तक पहुँचाने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को हम दोहराते हैं. आशा करते हैं यह अद्यतन भी आपके अन्तर्मन के तारों को झंकृत करने में सफल सिद्ध होगा. आपकी राय की सदैव की भाँति इस बार भी प्रतीक्षा रहेगी.
सादर सप्रेम जय श्री कृष्ण
नवीन सी. चतुर्वेदी
ब्रजगजल प्रवर्तक एवं बहुभाषी शायर
मथुरा – मुम्बई
9967024593

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